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श्रुत सागर, भाद्रपद २०५९
कृत), गुरूवाणी, मैं भी एक कैदी हूँ, चिंतननी केडी, जीवननो अरुणोदय (भाग १) प्रेरणा, सुवास अने सौंदर्य, सद्भावना, पाथेय, आतम पाम्यो अजवाळु, हुं पण एक केदी छु, Awakening, Beyond Doubt, Golden steps to salvation आदि.
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३. पूज्य साधुभगवंतों के निम्नलिखित प्रकाशनों की भी कम्पोजिंग यहाँ पर हुई : आनन्दघन पदसंग्रह भावार्थ- (आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरि कृत), पंचप्रतिक्रमणसूत्र - हिन्दी, अंग्रेजी सहित (सम्पादक - मुनि श्री निर्वाणसागरजी), दो प्रतिक्रमणसूत्र हिन्दी-अंग्रेजी अर्थ सहित (सम्पादकमुनि श्री निर्वाणसागरजी), वज्रकवच (उपाध्याय श्री धरणेंद्रसागरजी कृत), आतम ज्ञानी श्रमण कहावे, नंदीसूत्र (सम्पादक - मुनि श्री अक्षयचंद्रसागरजी) उपदेशमाला- हेयोपादेयाकथारहितटीका (सम्पादक- आचार्य श्री प्रद्युम्नसूरि) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, योगदीपक, परिशिष्ट पर्व, द्रव्यसप्ततिका, भगवतीसूत्र, जीवनदृष्टि (प्रवचनकार - आचार्य श्री पद्मसागरसूरिजी ), गौतम नाम जपो निश दिश (संकलन- पं. श्री धरणेंद्रसागरजी), स्वाध्यायसागर (संकलन- मुनिश्री हेमचंद्रसागरजी ) जिनशासन के समर्थ उन्नायक : आचार्य श्री पद्मसागरसूरि श्रुत सागर (कोबातीर्थ के मुखपत्र के १० अंक) आदि प्रकाशनों की कम्प्यूटर प्रविष्टि तथा प्रूफ रीडिंग आदि. अरुणोदय फाउण्डेशन के सीमंधरस्वामी प्रत्यक्ष पंचांग तथा कोबा डायजेस्ट आदि प्रकाशनों एवं अन्य सामग्रियों की एन्ट्री तथा प्रूफ रीडिंग की गईं. ३. पूज्य आचार्य श्री भद्रगुप्तसूरिजी रचित साहित्य अब तक विश्वकल्याण प्रकाशन ट्रस्ट, महेसाणा से प्रकाशित होता था, परंतु आचार्यश्री के कालधर्म के बाद अब उस संस्था की सारी प्रवृत्ति बंद हो जाने के कारण यह कार्य ज्ञानतीर्थ कोबा ने एक एग्रीमेंट के तहत ले लिया है. इनकी कुछ एक पुस्तकों की काफी मांग रहती है. उनका सारा स्टोक १२० प्रकाशनों की लगभग ४१३३३ पुस्तके कोबातीर्थ संचालित श्रुतसरिता में विक्रयार्थ लाये गये हैं. विश्वकल्याण प्रकाशन ट्रस्ट से प्रकाशित पुस्तकों के पुनर्मुद्रण का अधिकार अब आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर को प्राप्त हो गये हैं. अभी तक आचार्यश्री की ३१ प्रकाशनों की कम्प्यूटर प्रविष्टि हेतु कार्य हुआ है. प्रूफ रीडिंग बाकी है.
(५) आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर की अहमदाबाद स्थित शाखा
अहमदाबाद के विविध उपाश्रयों में स्थिरता कर रहे पूज्य साधु भगवंतों तथा श्रावकों की सुविधा हेतु अहमदाबाद के जैन बहुसंख्यक क्षेत्र पालडी विस्तार में १९ नवम्बर १९९९ को पूज्य आचार्यदेवेश श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. की शुभ प्रेरणा व आशीर्वाद से आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर का शाखा ग्रंथालय विधिवत प्रारम्भ किया गया. यहाँ पर उपलब्ध साहित्य वाचकों को उपलब्ध करने के अतिरिक्त कोबा स्थित ग्रंथालय की पुस्तकें भी वाचकों को उनकी योग्यता के अनुसार नियमित रूप से मंगवा कर दी जा रही हैं. यहाँ पर संपन्न प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं :
१. ३३९४ पुस्तकें ईश्यु की गई.
२. ३१९१ पुस्तकें वापस आईं.
३. ९७ वाचक इस शहरशाखा के सदस्य हैं, जिनमें से ४७ नियमित वाचक हैं.
४. २१८९ पुस्तकें भेंट स्वरूप प्राप्त हुईं.
५. आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर द्वारा स्टाक चेकिंग की गईं.
७. ग्रंथालय संबंधी कार्यों के अतिरिक्त श्री महावीर जैन आराधना केंद्र, कोबा के अहमदाबाद में जनसंपर्क सम्बन्धी विविध कार्य इस शाखा के द्वारा किये जाते हैं.
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