Book Title: Shrutsagar 2019 09 Volume 06 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SHRUTSAGAR
September-2019 आगळना ५ पद्योमां कवि वागडदेशना पलासईनगर(?)मां श्रावक साह पोता वडे करायेल महोत्सवमां पू. सुमतिसाधुसूरि वडे मुनि हेमविमलजीने आचार्यपद आप्यानी तथा काळांतरे इडरना राठोड शासक रायभाणना राज्यमां कोठारी सायर तेमज सहजपाल वडे करायेला महोत्सवमां गणधरपद प्रदान कर्यानी ऐतिहासिक विगतो आलेखे छे। ते पछी त्यांथी विहार करी अनुक्रमे खंभात पधारता “श्रीसंघ सहित शलुंजयतीर्थनी यात्राए पधार्या हता” तेवी पद्य क्रमांक १३नी नोंध तथा सिरोहीना तेमज आबुना राजा जगमाल वडे तेमने गुरु तरीके मान आप्यानी पद्य क्रमांक १४नी विगत पण काव्यनी महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक नोंध छे । अहीं काव्यांतमां रचयितानुं नाम नथी तेथी तेमना विशेनी अटकळ करवाने कोइ अवकाश नथी।
॥१॥
॥२॥
॥३॥
श्री हेमविमलसूरि स्वाध्याय
idou ॥ श्रीगुरुभ्यो नमः॥ पहिलं सरसति प्रणमुंपाय, कहीइं कविजन केरी माय । श्रीगुरु हेमविमलसूरिराय, गुण गाउं तसु लही पसाय महीअलि मोटो मारू देस, दीसइं अधिको पुन्य निवेस। तिहां गढ मढ मंदिर अभिराम, नामिं नयर अछई वडगाम वसई वड-विवहारीअ-वीर, गंगाराज तिहां गुणह गंभीर । गंगादे तसु घरणी सार, जायो पुत्र हिव हादकुमार सुत वाधइं तेजइं जिम सूर, पुहविं पुण्य तणो अंकूर। लीलारंगि रामिती रमइ, जे जोई तेहनइं अति गमइ भणिओ गणिओ सुत लीलविलास, धुरि लगइं धर्म तणो अभ्यास । चित्त धरई संवेग अभंग, संयमसिरी-रमणीस्युं रंग श्रीगुरु लखमीसागरसूरि, सहिगुरु पासि मनोरथ पूरि। हादकुमर लिई संयम सार, हेमविमल मुनि नाम उदार हेला शास्त्र सवे अभ्यसइं, जेह मुखि सरसति वासई वसइं। मंडवगढि जेह बिरू(रु)द प्रमाण, वादीय टोडरमल्ल सुजाण
॥४॥
॥५॥
॥६॥
॥७॥
१. रमत, २. पहेलाथी, ३. झडपथी, ४. घरमां.
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36