Book Title: Shrutsagar 2019 09 Volume 06 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 16 ॥१६॥ ॥१९॥पाय... श्रुतसागर सितम्बर-२०१९ तुमची वाणि[इ] भेदीउ, दिउ मझ चारित्र सारो रि पायकमल नमइ कर जोडीनइ, वीनवइ स्वामी अथिर संसार । पूज्य चरण सेवा करुं, ए मझ लाभ अपारो रि ॥१७॥पाय...(द्रुपद) श्रीअ पूज्य वलतुं इम भणइ, वछ तुम नाहनी वेस। चारित्र छइ अति दोहिलं, हवडां अह्मचु नहीं आसो रि ॥१८॥पाय.. चारित्र-रयण ऊमाहीओ, छांडउ एह ज वात । जहा सुख गुरुजी इम कहइं, पूछउ तुह्मचा वली तातो रि माय ताय पूछयां वली, दिउ मुझनइं आदेश। जु देशो तुहइ धरुं, नहीं दिउ तोहइ वरेसो रि ॥२०॥पाय... एक मना जांणी करी, अनुमति दीधी रे ताय । गुरुचरणे आवीअनइ, मागइ चारित्र धरी भावो रि ॥२१॥पाय... पंच महाव्रत ऊचर्या, लीधउ संयमभार। दोष बइतालीस परिहरइ, नहीं लवलेस प्रमादो रि ॥२२॥पाय... आठ दिवस मु(म)हुच्छव करइ, हरखइं कुटंब अपार । दीख्या वरीनइ चालीआ, वांदीनइ वलइं परिवारो रि ॥२३॥पाय... ढाल ॥२४॥ ॥२५॥ लघुपणि जे छइ सोभागी, धर्म तणी मति जागी। वहि(विह)री पुहुता ए जाम, अमदावादई ए ताम संघवी लखमण इम कहइ, पूज्य केरी पदवीअ जे लहइ। ते सिष्य हीअडइ निरधारू, जे छइ मुद्राइं सारू सिष्य सवे मनि निरख्या, हरखकुमार वली परख्या। लक्षण मुद्राइं सोहइं, जोया शुकन ते होइ संवत सोल छत्रीसइ (१६३६), वैशाख वदि बीज दीसइ । महरत अतिहि उदार, श्रीसोमविमल गणधार दीधुं सूरिमंत्र सार, महोच्छव मांडिउ विस्तार । ७. नानी, ८. अमने, ९. आतुर थयेलो, १०. तो पण, ११. लईश, ॥२६॥ ॥२७॥ For Private and Personal Use Only

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