Book Title: Shrutsagar 2019 09 Volume 06 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 17 September-2019 ॥२८॥ ॥३०॥ SHRUTSAGAR रूडं नाम ठवीजइ, श्रीहेमसोमसूरि कहीजइ संघवी लखमण विरचइ, वित्त घणां तिहां खरचइ । पद हवं मोटइ मंडाणि, सुललित जेहनी छइ वाणि ॥२९॥ भविअ(य)ण जन मन मोहइ, पुण्यवंत पडिबोहइ । तपगच्छि दीपंतु दिणयर, सोम गुणेइं जे छइ ससिहर युगप्रधान ए गुरु सुखकर, महीतलि-मंडन दुखहर । पाय नमइ सहु सुर नर, आज्ञा मानइं ते मुनिवर कलश श्रीसोमविमल रयण निम्मल, तासु सीसह वांदीइं, श्रीहेमसोमसूरि मेरु सायर, तेह परि जे नांदीइं१४। एकमनां जे गुणह गावइ, लहइ सुख ते अति घणां, श्रीसुमतिमंडन-सीस पभणउ, तासु हरख वधामणां ॥३२॥ ॥श्रीहेमसोमसूरि सज्झाय ॥ पं. विद्याविमल गणि कृत॥ चेली सो. कनकलक्ष्मी, श्रीलक्ष्मी भणनार्थम् ॥ ॥३१॥ पंडित श्रीलक्ष्मीकल्लोल गुरुस्वाध्याय उपरोक्त प्रथम कृतिमां आपणे जोइ गया के पू. हेमविमलसूरिजी म. मूळे तो पू. लक्ष्मीसागरसूरिजीनी पट्टपरंपराना साधु छ। प्रस्तुत कृतिमां आपणे ते ज लक्ष्मीसागरसूरिजीनी पट्टपरंपरामां थयेला पंडित हर्षकल्लोलजीना जीवन चरित्रनो परिचय करीशुं । जेमां सौ प्रथम तेमनी गुरु पट्टपरंपरा जैन परंपरानो इतिहास भा.३ना आधारे जोईए। तपा. लक्ष्मीसागरसूरि-->सोमदेवसूरि-->रत्नमंडणसूरि-->आगममंडणसूरि -->पंडित हर्षकल्लोलजी-->पंडित लक्ष्मीकल्लोलजी। कृति परिचय __ आगळनी बन्ने कृतिओनी जेम प्रस्तुत कृतिकारे अहीं पण पूज्यश्रीनी बाल्यावस्थाथी लई दीक्षा ग्रहण कर्या सुधीनी अने त्यारपछी पण तेमना पद प्राप्त १२. तैयारी (रचना) पूर्वक, १३. शिष्य, १४. आनंदित थq. For Private and Personal Use Only

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