Book Title: Shrutsagar 2019 09 Volume 06 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर 22 सितम्बर-२०१९ दीपविजयकृत २० स्थानकतपसज्झाय ___ साध्वी काव्यनिधिश्रीजी वीशस्थानक तपना आराधनथी अविचळ, शाश्वत, अनुपमेय मुक्तिरूपी सुखनी प्राप्ति थाय छे। दरेक अवसर्पिणी काळना चोवीस तीर्थंकर भगवंतोए पोताना पूर्व भवोमां आ वीशस्थानक तपनी आराधना करीने ज जिन नाम कर्मर्नु उपार्जन कर्यु हतुं । जे कोई सम्यग् रीते वीशस्थानक तपनुं आराधन करे, ते अवश्य श्री जिनेश्वर भगवंतनी अद्भुत लक्ष्मीने प्राप्त करे छे । आ वीशस्थानक तप घणो ज प्रसिद्ध छे तेमज ते करवानो प्रचार पण सर्वत्र सारी रीते जोवामां आवे छे। कृति परिचय प्रस्तुत कृति श्री दीपविजयजी द्वारा मारुगुर्जर भाषामां पद्यबद्ध रचायेली छे। आ कृतिमां वीशस्थानक तपना वीशस्थानको तेमज प्रत्येक स्थानकना गुणोनुं संक्षिप्त वर्णन जोवा मळे छ । कर्ताए कृतिना प्रारंभे 'सरसत्ती निजगुरु ने सदा, हो जी प्रणमू जुगल चरणे' कहीने सरस्वतीदेवी तेमज गुरुना नामनुं मंगलस्मरण कर्यु छ । त्यारबाद विषय वडे भाव धरीने वीशस्थानक तप वर्णवे छ । ___ गाथा क्रमांक २ थी ११ सुधी मां अरिहंत, सिद्ध, प्रवचन आदि वीशस्थानकोना नाम अने गुणोनुं वर्णन छे। तेमां गाथा क्रमांक ९मां सोळमुं पद जिननुं वर्णन छे अने त्यारबाद सत्तरमा संयम पदना उल्लेख जोवा मळतो नथी। १०मी गाथामां अढारमां पद ज्ञान- वर्णन करेल छे । आम, गाथा क्रमांक ९ अने १०नी वच्चे एक गाथा रही गयेल होय एq लागे छे। तदपरांत प्रतिलेखक द्वारा हस्तप्रतमां गाथा क्रमांक ११ पछी गाथा क्रमांक १२ ने बदले १३ आपवामां आवेल छ । परंतु अहीं कृति अधूरी लागती नथी आथी क्रमांक लखवामां भूल थयेल होवानी संभावना लागे छे । आम, कृतिनी अंतिम गाथा क्रमांक १४ आपेल होवा छतां कृति १३ गाथानी छे। ___ अंतिम बे गाथाओमां वीशस्थानक तपनो विधि तेमज महिमा वर्णवेल छ। ॐ ह्रीं मंत्राक्षरथी संयुक्त प्रत्येक पदना नामनी वीस नवकारवाळी, जे पदना जेटला गुण तेटला लोगस्सनो काउस्सग्ग करवानुं दर्शाव्यु छ । फक्त एक ज पदनी आराधनाथी पण For Private and Personal Use Only

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