Book Title: Shrutsagar 2019 09 Volume 06 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 21 September-2019 SHRUTSAGAR ढाल भल भाविइं रे, भविका जन सह सांभलइ रे, ए गुरु छइ गुणभंडार । सोहाकरू रे, जाणइ तत्वविचार, ए मुनिवरू रे।। एहवा रूडा रे पंडितनइं वांद सह रे (आंकणी..)॥२५॥ मुखि भाखइ रे, अंग अग्यार ति अति भला रे, वली बार उपांग अपार । जाणइ कही रे, विद्या रे'} सघली ईणइ गुरि लही रे} वली सकलागम सार पभण्यां सही रे' ॥२६।।एहवा... गछपति रे, सौभाग्यहर्षसूरीसरू रे, दिइं पंडित पद उल्लास। हरखिइं धरी रे, मृगनयणी दिइ भास, मंगल करी रे ॥२७।।एहवा'... हेला रे, जीता वादी वादडा२रे, कुमती(ति)ना गाल्यां मान। विद्या बलिइंरे, जगि सघलइ वलिउ वान, ए गुरु तणउ रे ॥२८॥एहवा... इणि परि रे, सुंदर साधु सुहामणा रे, गुण नवि लाभइ पार। हरखिइं थुण्या रे, जसु गातां हुइ जयकार, मंगल घणां रे ॥२९।।एहवा... कर जोडी रे, सौभाग्यकल्लोल इम वीनवइ रे, अमृत वाणि विशाल । गुरुजी तणी रे, सुणतां हर्ष अपार, ए मुनि भणी रे ॥३०॥एहवा... ॥ इति श्रीमद्गुरुणां स्वाध्यायः॥ पं. सौभाग्यकल्लोल गणि कृतः, लिखितश्च। नन्दरबारे ॥ ११.ते, १२. वाद. 1.आ रे पाठ वधारानो लागे छे, 2. अहीं रे पाठ वधारानो लागे छे, 3. पद्य क्रमांक.२५, २६ तथा २७मी रचना वांचता कंईक अंशे काव्य(ढाळ) रचनाना माळखा बहारी गइ होय तेवू लागे छे. बनवा जोग छे कोई वधाराना शब्दो लखाय गई होय. ___ क्या आप अपने ज्ञानभंडार को समृद्ध करना चाहते हैं ? आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा में विभिन्न प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित बहुमूल्य पुस्तकों का अतिविशाल संग्रह है, जो हम ज्ञानभंडारों को भेंट में देते हैं। यदि आप अपने ज्ञानभंडार को समृद्ध करना चाहते हैं, तो यथाशीघ्र संपर्क करें । पहले आने वाले आवेदन को प्राथमिकता दी जाएगी। ग्रंथपाल For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36