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September-2019
SHRUTSAGAR
ढाल भल भाविइं रे, भविका जन सह सांभलइ रे, ए गुरु छइ गुणभंडार । सोहाकरू रे, जाणइ तत्वविचार, ए मुनिवरू रे।।
एहवा रूडा रे पंडितनइं वांद सह रे (आंकणी..)॥२५॥ मुखि भाखइ रे, अंग अग्यार ति अति भला रे, वली बार उपांग अपार । जाणइ कही रे, विद्या रे'} सघली ईणइ गुरि लही रे} वली सकलागम सार पभण्यां सही रे'
॥२६।।एहवा... गछपति रे, सौभाग्यहर्षसूरीसरू रे, दिइं पंडित पद उल्लास। हरखिइं धरी रे, मृगनयणी दिइ भास, मंगल करी रे
॥२७।।एहवा'... हेला रे, जीता वादी वादडा२रे, कुमती(ति)ना गाल्यां मान। विद्या बलिइंरे, जगि सघलइ वलिउ वान, ए गुरु तणउ रे ॥२८॥एहवा... इणि परि रे, सुंदर साधु सुहामणा रे, गुण नवि लाभइ पार। हरखिइं थुण्या रे, जसु गातां हुइ जयकार, मंगल घणां रे ॥२९।।एहवा... कर जोडी रे, सौभाग्यकल्लोल इम वीनवइ रे, अमृत वाणि विशाल । गुरुजी तणी रे, सुणतां हर्ष अपार, ए मुनि भणी रे
॥३०॥एहवा... ॥ इति श्रीमद्गुरुणां स्वाध्यायः॥ पं. सौभाग्यकल्लोल गणि कृतः, लिखितश्च।
नन्दरबारे ॥
११.ते, १२. वाद. 1.आ रे पाठ वधारानो लागे छे, 2. अहीं रे पाठ वधारानो लागे छे, 3. पद्य क्रमांक.२५, २६ तथा २७मी रचना वांचता कंईक अंशे काव्य(ढाळ) रचनाना माळखा बहारी गइ होय तेवू लागे छे. बनवा जोग छे कोई वधाराना शब्दो लखाय गई होय.
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ग्रंथपाल
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