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श्रुतसागर
सितम्बर-२०१९ पूज्यश्री के आशीर्वाद प्राप्त किए साथ ही इनके प्रति अपनी उद्गार भरी शुभकामनाएँ प्रकट की।
दि. ८-९-२०१९ रविवार को पूज्य राष्ट्रसन्तश्री का ८५वाँ जन्मदिवस उपकारपर्व के रूप में भव्य महोत्सव के साथ मनाया गया। प्रातः ९:३० बजे संचालक श्री उत्तमभाई छेडा तथा संगीतकार राजीव विजयवर्गीय के द्वारा संगीत के सुरों के साथ गुरुवन्दना की गई। पूज्यश्री ने मांगलिक सुनाया और उसके बाद संगीतकार के द्वारा गुरुभक्ति गीत से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
पूज्य गुरुदेवश्री के ८५वें जन्मदिवस के अवसर पर इनके शिष्य-प्रशिष्यों ने अपने गुरुदेव के गुणों का स्मरण करते हुए विभिन्न शैली में गुणानुवाद कर गुरुवन्दना की। मुनि हर्षपद्मसागरजी म. सा. के द्वारा अपने वक्तव्य में गुरु तथा शिक्षा के विषय का समन्वय कर गुरु की महत्ता दर्शाई गई। पूज्य आचार्य श्री अजयसागरसूरिजी म. सा. ने अपनी गुरुपरम्परा का स्मरण करते हुए पूज्यश्री का गुणानुवाद किया तथा आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर की विशेषताओं व उपलब्धियों का परिचय कराया। पूज्य आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरिजी म.सा. के द्वारा पूज्यश्री के दीर्घ संयम पर्याय की अनुमोदना करते हुए गुरु गुणानुवाद किया गया। पूज्य अरुणोदयसागरसूरिजी म. सा. के द्वारा यह बतलाया गया कि पूज्यश्री तो वचनसिद्ध पुरुष हैं, उनका वर्णन करने के लिए शब्द कम पड़ते हैं।
पूज्य गणिवर्य श्री प्रशान्तसागरजी म. सा. के द्वारा यह बतलाया गया कि गुरु का अर्थ होता है काष्ठ की नौका, जो स्वयं भी तैरती है और दूसरों को भी पार उतारती है। उन्होंने स्वयं को भाग्यशाली मानते हुए कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि पूज्यश्री के सान्निध्य में उनकी परछाई के समान २५ वर्षों तक उनके साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। गुजरात के शिक्षामन्त्री श्री भूपेन्द्रभाई चुडासमा ने अपने वक्तव्य में बताया कि पूज्यश्री का १००वाँ जन्मदिवस भी हम सभी इसी प्रकार एकत्र होकर मनाएँ, यही प्रभु से प्रार्थना है। गुजरात के गृहमन्त्री श्री प्रदीपसिंह जाडेजा ने बतलाया कि जब हम सुख में होते हैं, तब तो ठीक है, परन्तु जब हम दुःख में होते हैं, तब भी पूज्यश्री का आशीर्वाद हमें अवश्य मिलता है। पद्मश्री डॉ. कुमारपाल देसाई के द्वारा यह बतलाया गया कि नेपालनरेश, जो दशहरे के सिवाय अपनी प्रजा को वर्ष में कभी भी दर्शन नहीं देते थे, उन्होंने भी पूज्यश्री के दर्शन हेतु पधारकर अपनी धन्यता का अनुभव किया था। पूज्यश्री के आशीर्वाद और प्रेरणा से स्थापित आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर वर्तमान में जैन समाज तथा देश-विदेश के विद्वानों के लिए विशेष रूप से जो श्रुतभक्ति करता है, वैसी श्रुतभक्ति कहीं नहीं होती है। कोई भी विदेशी विद्वान भारत आते है तो इस ज्ञानभंडार का दर्शन करने के लिए वे अवश्य उत्सुक होते हैं। गुरुभगवन्तश्री की गुरुभक्ति के विषय में उन्होंने बतलाया कि वे और पूज्यश्री २०दिनों तक रात के २-२ बजे तक चर्चा करके उन्होंने दादा गुरुदेव ग. प.
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