Book Title: Shrutsagar 2019 09 Volume 06 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 14 सितम्बर-२०१९ श्रुतसागर सुमतिमंडन गणिना शिष्य होवानुं वधारे समजाय छ। ॥१॥ श्री हेमसोमसूरि सज्झाय on [छंद ?] सरसति माता पाय प्रणमी करी, श्रीपूज्य केरा गुण हुँ मनि धरी। [टक ?] मनि धरी सहिगुरु तणा गुण, जे गाईइ आणंदसिउं। श्रीहेमसोमसूरि उदयवंता, नामि सवि सुख पामसिउं [छंद ?] गुर्जरमाहिं देस सोहामणउ, धाणधार नामइं दीसइ अभिनवउ। [टक ?] अभिनवू दीसइ दुर्भिख्य न दीसइ, देससिरोमणि जाणीइ । वडगाम नयरह तेह मध्यइं, नगरमाहिं वखाणीइ [छंद ?] पोरूआड वंसिइ दीसइ गुणनि(नी)लु, साह जोधराजह रूपइं अति भलु । बटक ?] अति भल रूपइं जगह मोहन. नारि तेहनइं दीपती। रूडीअ नामि नहींअ कूडी, सीलई सीता जीपती छंद ?] पंच विषयसुख जे संसारना, विलसइं ऊलटि छइ धर्मवासना। [टक ?] वासना धर्मह नहीं कुकर्मह, पुण्य गर्भह अवतरिउ। भले डोहले सुपन सूचित, पूरे दिन पुत्रह जणिउ ॥२॥ ॥३॥ ॥४॥ ढाल पुत्र प्रसव हूओ जेतलई, जनम महोच्छव तेतलई। १. दोहलाथी, For Private and Personal Use Only

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