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SHRUTSAGAR
September-2019 वर्ग संतोष्यानी, नाम स्थाप्यानी तेमज विद्याध्ययन कराव्यानी वातो रजू करी छ।
पछीना आनुक्रमिक पद्यो दुहा-चोपाई-ढाळना क्रमवाळा छे। आ पद्योनी वर्णनानो थोडो भाग वडगाममां गुरु सोमविमलसूरिजी म.सा.नी पधरामणी थता तेमनी धर्मदेशनाथी वैराग्यवासित थयेला चारित्रनायकना संयम ग्रहण करवानी अभिलाषानुं वर्णन करवामां रोकायेलो छे, ज्यारे शेष भाग गुरु भगवंत द्वारा वर्णवायेल संयम जीवनना कष्टोनु तथा माता-पिता वडे अपायेल दीक्षानुमतिनी वर्णनामां रोकायेल छे। जो के आ पद्यमांनी हरखकुमार वडे ‘नहीं दिउ तोहइ वेरसो रि' ए शब्दो वडे माता-पिताने अपायेल अल्टीमेशननी(altimation), तेमज दिवस आठनो दीक्षा महोत्सव कर्यानी नोंध काव्यनी महत्वपूर्ण विगतो छ।
छेल्ली ढाळ काव्यमांनी ऐतिहासिक सामग्रीने रजू करती महत्वपूर्ण ढाळ छ । अमदावाद विहार करी पधारेला आ श्रीसोमविमलसूरिजीने श्रावक लखमण वडे “तेओ भविष्यमां पद कोने सोपशे?” ते अंगे पृच्छा कराता तेना जवाबमां आचार्यश्री वडे सर्व शिष्योमा हरखकुमार (मुनि नाम नथी)ने पद योग्य कही, स्वहस्ते ज सूरिमंत्रना प्रदान पूर्वक हेमसोमसूरिना नवा नामे सं.१६३६ ना वैशाख वद २ ना स्वपदे स्थापन कर्यानी विगत शरूआतना ५ पद्योमा कवि आलेखे छ।
वळी ते प्रसंगे श्रावक लखमण वडे ज द्रव्य खरच्यानी विगत नोंधी शेष २ काव्यो तथा कळशबद्ध पद्य द्वारा सूरि गुण स्तवना तथा स्व परंपरोल्लेख पूर्वक कवि काव्यनुं समापन करे छे। अहीं काव्यांतमां कवितुं नाम नथी परंतु लेखन प्रशस्तिमां करायेल विद्याविमलजीनो कर्ता तरीकेनो उल्लेख प्रस्तुत कृति तेमनी रचना होवानुं सूचन करे छे। कृतिकार
पं. विद्याविमलजी म.सा. - आपणी कृतिमां मळती नोंध मुजब तेओ सुमतिमंडण गणिना शिष्य छ । जो के जै. परं. इति. भाग.३/पृ.४२५नी नोंधमां तेओ माटे “विजयविमल गणि” ना शिष्य होवानी के बीजा “विद्या गणिना" शिष्य होवानी अटकळ करायेली छे।
वळी ते बधी ज व्यक्तिओनो समयगाळो पण एक साथेनो छे तेथी जो कोइ विशेष नोंध मळे तो ते अंगे योग्य खुलासो थई शके। ते छता पण अमारी सामान्य समजण मुजब तेओ हेमविमलसूरि म.सा.नी परंपरामा विजयविमल गणिना शिष्य
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