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सितम्बर-२०१९
श्रुतसागर सुमतिमंडन गणिना शिष्य होवानुं वधारे समजाय छ।
॥१॥
श्री हेमसोमसूरि सज्झाय
on [छंद ?] सरसति माता पाय प्रणमी करी, श्रीपूज्य केरा गुण हुँ मनि धरी।
[टक ?] मनि धरी सहिगुरु तणा गुण, जे गाईइ आणंदसिउं। श्रीहेमसोमसूरि उदयवंता, नामि सवि सुख पामसिउं
[छंद ?] गुर्जरमाहिं देस सोहामणउ, धाणधार नामइं दीसइ अभिनवउ।
[टक ?] अभिनवू दीसइ दुर्भिख्य न दीसइ, देससिरोमणि जाणीइ । वडगाम नयरह तेह मध्यइं, नगरमाहिं वखाणीइ
[छंद ?] पोरूआड वंसिइ दीसइ गुणनि(नी)लु, साह जोधराजह रूपइं अति भलु ।
बटक ?] अति भल रूपइं जगह मोहन. नारि तेहनइं दीपती। रूडीअ नामि नहींअ कूडी, सीलई सीता जीपती
छंद ?] पंच विषयसुख जे संसारना, विलसइं ऊलटि छइ धर्मवासना।
[टक ?] वासना धर्मह नहीं कुकर्मह, पुण्य गर्भह अवतरिउ। भले डोहले सुपन सूचित, पूरे दिन पुत्रह जणिउ
॥२॥
॥३॥
॥४॥
ढाल
पुत्र प्रसव हूओ जेतलई, जनम महोच्छव तेतलई। १. दोहलाथी,
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