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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 15 September-2019 ॥५॥ ॥६॥ SHRUTSAGAR एतलइं धवल मंगल गाइं भामिनी ए अशुचि कर्म सवि सोषीअ, निअ सज्जन संतोषीअ। पेखीअ हरख घणउ सहू मनि धरई ए हरखकुंमार दीउं नाम ए, गुणे करी अभिराम ए। पामइ ए विद्या सघली अणभणी' ए कला गुणे करी दीपतुं, रूपइं रतिपति जीपतुं । ऊगतुं जाणे पुं(पू)निम चंदलु ए ॥७॥ ॥८॥ दुहा इणि अवसरि तसुजे हूउ, सुणज्यो भवीअण-वृंद। पूरव पुण्य पसाउलइ, ते करइ दुरीअ निकंद ॥९॥ ___ चोपई तपगच्छ गयणि उदयु दिणंद, श्रीगुरु सोमविमलसूरिंद। प्रणमइं सुर नर मुनिवर-वृंद, वारइ विरूआ सघला दंद ॥१०॥ चिंति धरइ को हुइ सुजाण, वयरसामि परि जाणइ नाण। वुहि(विह?)री दिउं पद दीपइ भाण, महीअलि वाधइ अधिकुं वान ॥११॥ ढाल भविकजन पडिबोहता, गुरुजी करइ विहार रे। रयणि पंच नयरि रहइ, गामइं एक ज रात्रि रे ॥१२॥ भलई भलई गुरुजी वंदीइ, सहु धरइ हरख अपार रे। ठामि ठामि आग्रह करइं, नवि रहइ दोइ एक मास रे ॥१३।। भलई...(द्रुपद) आग्रह करतां पहुतला, वडगाम नयरि मझारि रे। चउविह संघ साहा(ह)मइं मिलइ, नयरि कीउ परवेस रे ॥१४॥ भलइं... गुरुजी देसना तिहां दीइ, वाणी अमृतरेलि रे। हरखकुमार मनि बूझीआ, चारित्र हु अज' लेसि रे ॥१५॥भलइं... ढाल चुविह संघ सहु देखतां, पभणइ हरखकुमार। २. भण्या वगर, ३. मनमां, ४. विहार करी, ५. अमृत वर्षा, ६. आज, For Private and Personal Use Only
SR No.525350
Book TitleShrutsagar 2019 09 Volume 06 Issue 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
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