Book Title: Shrutsagar 2019 08 Volume 06 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर 12 अगस्त-२०१९ विषयनी विस्तृत चर्चा करी छ। विहार, व्याख्यान, उपदेश, वाचन, मनन अने लेखनमां रत रहेता आ योगीराजनुं लक्ष्य तो आत्मानी ओळख पामवानुंजरा छ । आ रोजनीशीमां सालंबन के निरालंबन ध्याननी चर्चा करीने तेओ आत्मज्ञानपूर्वक आत्मध्यान धरीने, आत्मसमाधि प्राप्त करवायूँ कहे छ । आ आत्मसमाधिनी महत्ता दर्शावतां तेओ कहे छे___ “समाधिसुख प्राप्त करवू ए मनुष्यजीवन- मुख्य कर्तव्य छ। समाधिसुखने प्राप्त करवू ए कदापि आत्मध्यान विना बनी शके एम नथी। आत्मध्यानमां परिपूर्ण लक्ष्य राखीने आत्मध्याननो स्थिरोपयोगे अभ्यास करवाथी सालंबन अने निरालंबन ध्यान- सम्यक् स्वरूप अवबोधाय छे, अने तेथी सालंबन अने निरालंबन ध्यानथी शंकानुं समाधान थवा पूर्वक आत्मोन्नतिना मार्गमां विद्युतवेगे गमन करी शकाय छे, एम सद्गुरुगमथी अवबोधq।” तेओ साधुजीवनमां थता अनुभवोने आलेखे छे । संवत १९७१ना श्रावण वद ७ने बुधवारना रोज सवारना साडासात वाग्ये एमणे लोच कराव्यो। आत्मज्ञानीने आ अनुभव केवो भाव जगाडे छे, एर्नु आलेखन आ दिवसनी नोंधमां मळे छे । तेओ कहे छे - __ “लोच करावतां आत्मानी सारी रीते समाधि रही हती। लोच करावती वखते आत्माना शुद्ध स्वरूपनी भावना भाळी हती अने हृदयमां कुंभक प्राणायाम धारवामां आवतो हतो, तेथी लोच करावतां आत्मानो शुद्ध परिणाम वृद्धि पामतो हतो। आ कालमां साधुओने लोचनो परिषह आकरो छ। आत्मज्ञाननी कसोटी खरेखर लोचथी अमुक अंशे थई शके छे। शरीरथी आत्माने भिन्न मान्या बाद लोच करावती वखते आत्मज्ञानीने परिषह सहवाथी अमुक अंशे अनुभव प्राप्त थाय छे।” आम, आ जाग्रत आत्मा जीवननी प्रत्येक क्रियामां आत्माना शुद्ध स्वरूपनी भावना भाळे छे । ते हकीकत आ लोचनी विगतमां पण जोवा मळे छे । ध्यानने महत्त्व आपनार आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरिजी ज्यां क्यांय शांति जुए के तरत आत्मध्यान लगावी दे छे । कोई वगडामां जैनमंदिर मळी जाय तो ते एमने ध्यान माटे खूब अनुकूळ लागे छे। फागण वद १०ना दिवसे “सरस्वती नदीना किनारे रेतना बेटडामां बेसी आजरोज एक कलाक आत्मध्यान धर्यु।” एम नोंधे छे । तो “जोटाणामां क्षेत्रपालना स्थानना ओटला पर सांजना वखते एक कल्पकपर्यंत आत्मध्यान धरवाथी आत्माना अलौकिक अनुभवनी झांखी थई” एम नोंधे छ । (क्रमशः) For Private and Personal Use Only

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