Book Title: Shrutsagar 2019 08 Volume 06 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर
अगस्त-२०१९ ज्ञानसागरना तीरेतीरे (योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराज :३)
डॉ. कुमारपाल देसाई (गतांकथी आगळ..)
योगनिष्ठ आचार्य श्रीबुद्धिसागरसूरीश्वरजीनी आ एक वर्षनी रोजनीशीना गद्यमां, लखनारनी चिंतनशीलता प्रगट थाय छ। आमां अनेक विषय पर मननीय लेखो मळे छे। आज सुधी अप्रगट एवा प्रामाणिकता विशेना निबंधमां तेओ कहे छे के - ___“प्रामाणिक वर्तनथी जेटली आत्मानी अने अन्य जनोनी उन्नति थई शके छे, तेटली अन्यथी थती नथी। वळी, रागद्वेष वगेरे दोषोनो जेम जेम नाश थतो जाय, तेम तेम प्रामाणिकपणुं विशेष खीलतुं जाय छे । आवी व्यक्तिने विघ्नो अने संकटो नडे छे, परंतु ते अंते विश्वमां उन्नतिना शिखरे विराजित थाय छे।”
आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरिजी स्पष्ट कहे छे के"मनुष्यमां सर्व गुणो करतां प्रथम प्रामाणिकपणानो गुण होवो जोईए।"
आजे आपणे जोईए छीए के, समाजमां भ्रष्टाचार शिष्टाचार बनी गयो छे । त्यारे आ उपदेश केटलो सचोट अने मर्मस्पर्शी लागे छे! तेओ कहे छे के__“जे देशमा प्रामाणिक मनुष्यो होय ते देश स्वतंत्रताथी अने उन्नतिथी शोभी रहे छे। धर्म, राष्ट्र अने समाजनी उन्नतिनो आधार प्रामाणिकपणा छ।”
आचार्यश्री पासे वास्तविक परिस्थितिनुं स्पष्ट दर्शन हतुं अने तेथी ज तेओ आर्यावर्तनी अवनति थवानु मुख्य कारण 'प्रामाणिक गुणथी विमुखता छे' तेम कहे छे। निबंधना समापनमां पोताना विचारोनुं नवनीत तारवतां तेओ कहे छे - __“प्रामाणिक गुण संबंधी भाषण करनारा लाखो मनुष्यो मळी आवशे, पण प्रामाणिकपणे वर्तनारा तो लाखोमांथी पांच मनष्यो पण मळे वा न मळे, तेनो निश्चय करी शकाय नहि। प्रामाणिकपणे वर्तनार मार्गानुसारि गुणने प्राप्त करीने सम्यक्त्वनी प्राप्ति करी शके छे, अने सम्यक्त्वनी प्राप्ति थया बाद चारित्र्यनी प्राप्ति करीने ते मोक्षपदनी प्राप्ति करी शके छे। आर्यावर्त वगेरे देशोमां प्रामाणिकतानो यदि फेलावो थाय तो लूटफाट, क्लेश, युद्ध, मारामारी, गाळागाळी, कोर्टोमां अनेक प्रकारना केसो, कुसंप अने अशांति वगेरेनो नाश थाय एमां जरा मात्र संशय नथी। प्रामाणिकपणे वर्तवाथी अने बोलवाथी खरेखरी स्वनी अने अन्य मनुष्योनी उन्नति करी शकाय छे।
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