Book Title: Shrutsagar 2019 08 Volume 06 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर 30 अगस्त-२०१९ पुस्तक समीक्षा प्रकाशक - हिन्दी डॉ. हेमन्त कुमार पुस्तक नाम - जैन ग्रंथों की गोद में भिन्नमाल की भव्यता कर्ता आचार्य श्री रत्नसंचयसूरिजी म. सा. श्री रंजनविजयजी जैन पुस्तकालय, मालवाड़ा, जालोर, राजस्थान प्रकाशन वर्ष- वि.सं. २०७२ मूल्य १३००/भाषा जैसा कि ग्रंथ के नाम से ही पता चलता है कि इस ग्रंथ में धनकुबेरों का नगर प्राचीन काल के साहित्य जगत में मरुमंडल की धारानगरी के नाम से विख्यात भीनमाल का ऐतिहासिक वर्णन किया गया है। राजस्थान के दक्षिण भाग में स्थित जालोर जिले के भीनमाल नगर की स्वर्णिम पृष्ठभूमि रही है। यह नगर विभिन्न कालों में विभिन्न नामों से प्रसिद्ध रहा है, जैसे - श्रीमाल, रत्नमाल, पुष्पमाल, भिन्नमाल आदि। प्रस्तुत ग्रंथ में आचार्य श्री रत्नसंचयसूरिजी महाराज ने अनेक ऐतिहासिक एवं साहित्यिक ग्रंथों के आधार पर ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक आदि विभिन्न क्षेत्रों में इस नगर की उत्कृष्टता को तो उजागर किया ही है, साथ ही यह भूमि जिन महापुरुषों की जन्मभूमि, कर्मभूमि रही है, उन सभी का विस्तृत विवरण संकलित किया है। पूज्यश्री ने अनेक साक्ष्यों के आधार पर इस नगर की भव्यता का सांगोपांग वर्णन किया है। पज्य आचार्यश्री ने भीनमाल नगर की प्राचीनता, नगर की तत्कालीन सामाजिक एवं सांस्कृतिक समरसता आदि के वर्णन के साथ-साथ वर्तमानकालीन सामाजिक, सांस्कृतिक सम्पन्नता एवं नगर में स्थित जिनालयों आदि का भी बहुत ही सुंदर एवं विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया है। ___भारतवर्ष में ऐसे अनेक नगर हैं, जो प्राचीन काल से जैननगर के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं, उन नगरों में भीनमाल अग्रिम पंक्ति में स्थित है। पूज्यश्रीजी का यह कार्य जैन समाज एवं साहित्य जगत में एक सीमाचिह्नरूप प्रस्तुति है। भीनमाल नगर का अनेक साक्ष्यों के साथ इतना विस्तृत वर्णन करने का पूज्यश्री ने जो अनुग्रह किया है, वह For Private and Personal Use Only

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