Book Title: Shrutsagar 2019 08 Volume 06 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 32 श्रुतसागर अगस्त-२०१९ समाचारसार परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा का ___चातुर्मासिक रविवारीय प्रवचन वर्तमान भविष्य के निर्माण के लिए है अहमदाबाद : अदाणी शान्तिग्राम २१ जुलाई प्रातः १०.०० बजे राष्ट्रसन्त जैनाचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा ने जीवन में उपयोगी मार्गदर्शन देते हुए कहा कि आज का वर्तमान, कल के भविष्य का निर्माण करने के लिए है। समय बहुत मूल्यवान है। समय को व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए। विशेष रूप से वाणी के आठ गुणों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वाणी का उपयोग सौहार्द्र और प्रेमपूर्वक करना चाहिए, जिससे दूसरों के द्वारा सद्भावना मिले । पाँच हजार वर्ष के इतिहास में, पन्द्रह हजार से अधिक युद्ध, मात्र वाणी के असंयमित होने के कारण हुए हैं। आज के समय में वाणी के ऊपर संयम रखना अत्यन्त आवश्यक है। हमारे पूर्वज विचारपूर्वक बोलते थे। साधनामार्ग में मौन का बहुत अधिक महत्त्व है। विचार करने का समय भी मौन के द्वारा मिलता है। पुराने जमाने में टेलीग्राम लेंग्वेज का उपयोग किया जाता था। कम शब्दों में अपनी भावना को प्रस्तुत किया जाता था। राष्ट्रसन्त ने पण्डित और मूर्ख का उदाहरण देते हुए कहा कि पण्डित बोलने से पहले विचार करते हैं कि बोलने के बाद इसका क्या परिणाम आएगा और मूर्ख बोलने के बाद विचार करते हैं कि इसका क्या रिएक्शन आएगा। वाणी के व्यापार के द्वारा सद्गुणों का प्रोफीट होना चाहिए। प्रवचन के प्रारम्भ में मुनि भगवन्तों ने सुन्दर वाणी में तस्मै श्रीगुरवे नमः' की धुन से भक्तिपूर्ण माहौल बना दिया था। इस अवसर पर अहमदाबाद शहर से अनेक श्रद्धालुओं ने दर्शन-वंदन का लाभ लिया था। मंडप श्रोताओं के समूह से पूरा भरा हुआ था। सत्य से धर्म का जन्म होता है अहमदाबाद : अदाणी शान्तिग्राम २८ जुलाई प्रातः १०.०० बजे राष्ट्रसंत जैनाचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि परमात्मा और सत्पुरुषों की वाणी सुनना, एक साधना है। श्रवण से हमारे अन्दर के दुर्गुण दूर होते हैं, क्रोध-कषाय आदि दुर्गुण हमारे अच्छे गुणों को जलाकर राख कर देते हैं। धर्म का मर्म समझाते हुए उन्होंने कहा कि – धर्म क्या है? अपने For Private and Personal Use Only

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