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श्रुतसागर
अगस्त-२०१९ श्रुतसेवा के क्षेत्र में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर का योगदान
राहुल आर. त्रिवेदी (गतांक से आगे) संस्था के महत्त्वपूर्ण कार्य
विश्वकल्याण प्रकाशनः- आचार्य श्री भद्रगुप्तसूरिजी म.सा. प्रियदर्शन' के द्वारा लिखित साहित्य, जो विश्वकल्याण प्रकाशन ट्रस्ट, मेहसाणा से प्रकाशित होते थे, पूज्यश्री के कालधर्म के बाद उन साहित्यों का पुनर्प्रकाशन आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर से किया जाता है, जिससे जैन व जैनेतर समाज के वाचक लाभान्वित होते हैं।
श्रुतसागर (मासिक पत्रिका)- अप्रकाशित लघुकृतियों व शोधपरक सामग्री को प्रकाश में लाने के लिए प्रति मास 'श्रुतसागर' मासिक पत्रिका का प्रकाशन हो रहा है, जिसमें विद्वानों व संशोधकों के द्वारा अप्रकाशित कृतियों का सम्पादन कर उन्हें प्रकाशित किया जाता है। इसके नियमित स्तंभों में से गुरुवाणी स्तंभ के अन्तर्गत योगनिष्ठ आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म.सा. का प्रासांगिक व आध्यात्मिक संदेश तथा आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के साहित्य में से लोकोपयोगी व प्रेरक औपदेशिक अंशों का प्रकाशन किया जाता है। पुनर्प्रकाशन अन्तर्गत वर्षों पूर्व प्रकाशित दुर्लभ प्रसिद्ध मैगजीन के अंकों में से महत्त्वपूर्ण लेखों का चयन करके पुनःप्रकाशन किया जाता है, प. पू. आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी के विहारस्थिरता, बोधदायक प्रवचनों, प्रतिष्ठा महोत्सवों आदि कार्यक्रमों के समाचार तथा ज्ञानमंदिर की विविध गतिविधियों को प्रस्तुत किया जाता है।
रासपद्माकर- इसके अन्तर्गत अप्रकाशित रास, चौपाई जैसी कृतियों को प्रकाशित किया जाता है। रासपद्माकर के अबतक तीन भाग प्रकाशित किए जा चुके हैं। निकट भविष्य में चौथे भाग का भी प्रकाशन करने की योजना है। इसके अन्य भाग भी समय-समय पर प्रकाशित किए जाएंगे।
तीर्थरक्षा में योगदानः- सरकार व विविध संप्रदायादि कारणों से विवादों में घिरे हूए, खतरों में पडे हुए हमारे प्राचीन, पवित्र व ऐतिहासिक तीर्थस्थानों की सुरक्षा एक जटिल प्रश्न बनकर रह गई है। सदियों से चले आ रहे इन विवादों में हमारे पूर्वजों ने
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