Book Title: Shrutsagar 2019 08 Volume 06 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 29 SHRUTSAGAR August-2019 तन-धन-बुद्धिबलादि से राजा-रजवाडा, बादशाह व अंग्रेजी हुकुमत के समय सुरक्षा के लिए सुदृढ़ कदम उठाये थे व फरमान आदि प्राप्त किये थे। आज पुनः नये-नये विवाद खड़े होते जा रहे हैं। हमारे ही तीर्थों हेतु हमें लड़ना पड रहा है। ऐसे में प्राचीनअर्वाचीन फरमान, दस्तावेज, लेख, शिलालेख, प्राचीन महापुरुषों के ग्रंथ, हस्तप्रत, पुराने मासिक अंक, प्राचीन मुद्रित ग्रन्थ आदि से संदर्भो को ढूँढ ढूँढकर, कड़ी से कड़ी मिलाकर संकलन करके शेठ श्री आणंदजी कल्याणजी पेढी को उपलब्ध कराया जा रहा है। इसमें शिखरजी तीर्थ, गिरनारजी, केसरियाजी, पालिताणा रिसोर्ट जैसे मुद्दों पर विपुल मात्रा में दिए गए प्रमाणों के कारण आज प्रतिपक्षी की दलीलें कमजोर होती जा रही हैं, आगे भी प्रयास जारी है। आशा है कि इन सत्प्रयासों से अपेक्षित समय में जैन समाज को सुखद परिणाम प्राप्त होंगे। वंशावली प्रोजेक्टः- सैकड़ों वर्षों से चली आ रही वंशावली, वहीवंचा लेखन प्रथा जिसमें हमारे दादा-परदादा आदि की लंबी परंपरा, ऐतिहासिक घटनाओं आदि का समावेश होता है। लुप्तप्रायः होते जा रहे इस इतिहास को जीवंत रखने का एक प्रयास संस्था द्वारा किया जा रहा है। आज समाज में अपने कुलदेवता, गोत्र, उत्पत्ति, वंशावली इतिहास आदि की जिज्ञासा प्रदीप्त होती नजर आ रही है। लेकिन पूर्ण जानकारी के अभाव में वे अपने वंश के गौरवपूर्ण इतिहास को नहीं जान पाते हैं। इस क्षेत्र में भी आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर में उल्लेखनीय कार्य हो रहे हैं। महाजनी, जैनदेवनागरी आदि प्राचीन लिपियों में लिखित विविध वंशावलियों से सम्बन्धित कई हस्तलिखित रोल उपलब्ध हैं। लिपि विशेषज्ञ पंडितों के द्वारा इसका लिप्यन्तर किया जा रहा है। इस परियोजना के पूर्ण हो जाने पर जैनसमाज को अपनी वंशावली के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। (क्रमशः) स्वारथ सब ज्युग बल्लहो नाही बल्लभ कोय। मात पिता आदर नही ज्युवती आदर होय॥ प्रत क्र. १२३५२६ भावार्थ- प्रत्येक युग में स्वार्थ ही प्रिय होता है, इसके अतिरिक्त और कुछ भी प्रिय नहीं होता है। लोग माता-पिता का आदर नहीं करते हैं, पत्नी का ही आदर करते हैं। ___ For Private and Personal Use Only

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