Book Title: Shrutsagar 2019 08 Volume 06 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥२०॥ श्रुतसागर अगस्त-२०१९ पुस्तक लेवा सारु, कीजै आडंबर वारु हो भवियण....। आगलि श्रावक थायें, ते पाछल श्राविका जायें हो भवियण... ॥१६॥ सोहव मंगल गावें, अति आनंद अंग न मा हो भवियण...। [आवे निज पोसाले, ते उच्छवसु ततकाले हो भवियण'... ॥१७||] कर जोडी गुरु वंदें, ते पेखी चित्त आणंदे हो भवियण...। चतुर सोहव जे चावी', मांडे गुंहली ते श्रावी? हो भवियण... ॥१८॥ न्यू(न्यू)छणादिक वारु, करि(री) मोतीडें सुविचारु हो भवियण...। श्रीफल सहितसु थाल, ते गुरुनै बैं ततकाल हो भवियण... ॥१९॥ ते मांहें पुस्तक थापें, श्रावकने हाथें आपे हो भवियण...। इण परि सरल सुभावें, ते लेइ निज घरे आवे हो भवियण... निसि-जागरण करावें, वली धरम-भास गवरावें हो भवियण...। पूजीजै बहु भांतें, जिम भाख्यो छे सिद्धांते हो भवियण... ॥२१॥ नवला३ वस्त्र चढावी, मु(म)खमल' सूतू(त्र)१४ कढावी हो भवियण....। थाइं प्रभात जिवारें, हरषित थाइं तिण वारे हो भवियण... ॥२२॥ अणतेड्या तिहां आवै, जे श्रावक नाम कहावै हो भवियण...। निज सुतने सिणगारी, वलि(ली) गज उपर बैसारी हो भवियण.... तेहनें पुस्तक थाल, देई हाथें ततकाल हो भवियण...। विविध वाजित्र बजावें, अति गाजे नभ अरावें५ हो भवियण... ॥२४॥ ढोल दमामा ६ भेरी१७, झालर कंसाल९ नफेरी हो भवियण....। सुहव' मंगल गांन, करती आवे सुभ ध्यान हो भवियण... ॥२५॥ दीजै याचक दांन, सहुनों कीजै सनमांन हो भवियण.....। आगे नीसांण२२ अनेक, कीजै आंणी सुविवेक हो भवियण... सात पांच हय आगे, कोतक कीजे वड भागे हो भवियण.....। ॥२३॥ ॥२६॥ ८. एक गच्छy नाम, ९. माय, १०.सुंदर, ११. श्राविका, १२. लूछणा, ओवारणा, १३. नवा, १४. सूतर, १५. शब्दोथी?, १६. एक रणवाद्य, नोबत, १७. शरणाईना प्रकारचें एक मुखवाद्य, १८. एक वाद्य, गोळ सपाट घंट जेना पर डंका वगाडाय ते, १९. कांसाजोडी प्रकारचें एक वाद्य, २०. एक वाद्य नानो ढोल, २१. सौभाग्यवंती स्त्रीओ, २२. डंको, पाठांतर-7. आ पाठ आदर्शप्रतमा छुटी गयो छे, 8. तिण, 9. सूत्र, For Private and Personal Use Only

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