Book Title: Shrutsagar 2019 08 Volume 06 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir August-2019 ॥२७॥ ॥२८॥ ॥२९॥ ॥३०॥ SHRUTSAGAR इंम आवे(वें) पोसाले, श्रावक श्राविका ततकालै हो भवियण... सदगुरु सामु हो आवै, पुस्तक लेइ सीस चढावै हो भवियण....। केसरें सुगुरु अरचें, निज सकतें तिहां धन खरचे हो भवियण... कर जोडी इम भाखें, वड श्रावक सहुनी साखें हो भवियण...। कलप-वायणा दीजै, अम्ह आसा पूरण कीजै हो भवियण... गुरु वांचे संघ आगे, शुद्ध भीमपलासी रागे हो भवियण....। बिहुं टंक सूत्र सुणीजै, दिन दिन ए अमृत पीजै हो भवियण'... वली पूजै विचि(?) ग्यांन, छोडीनें मननों मांन हो भवियण....। प्रभावना बिहुं कीजै, श्रीफळ पूगी बहु दीजै हो भवियण... ॥३१॥ संवत्सरीने' दिवसें, सहु पोसह लेइ निवसें हो भवियण...। चैत्य प्रवाडी गुरु ऊठे, सहु श्रावक श्राविका थाइ पूढे २३ हो भवियण.... ॥३२॥ माहोमांहें खमावै, रीसांणा जेहनें मनावै हो भवियण...। “मिच्छामि दुक्कड(ड)” दीजै, वली पडिकमणे जस लीजै हो भवियण... ॥३३॥ “जीतो टोडरमल जीतो,” ए गीत गावै सुव(वि)दीतो हो भवियण...। हि पांचमी परभातें, हरषित थाइं इण वातें हो भवियण... पडिलाभो ते पहिला, आहारे सदगुरु वहिला हो भवियण...। पुस्तक ल्येजो भावै, सहु श्रावकनें जीमावै हो भवियण... इम ए पर्व आराधे, ते जन निज कारिज साधे हो भवियण...। एह अट्ठाइ रीत, जे पाले ते सुविनीत हो भवियण... ॥३६॥ सुणीयो गुरुमुखे जेम, ए परगट कीधो तेम हो भवियण...। लक्ष्मीसोभाग वडभाग, शिष्य जपे हेमसोभाग हो भवियण... ॥इति श्री अट्ठाइ पर्युषणापर्वविधि स्तवनं सम्मत्तम्॥ ॥३४॥ ॥३५॥ ॥३७॥ २३.पाछळ. पाठांतर-10. बीजी बन्ने प्रतोमां आ पंक्तिओ ऊपर-नीचे छे, 11. संवच्छरी. For Private and Personal Use Only

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