Book Title: Shrutsagar 2019 05 Volume 05 Issue 12
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 18 श्रुतसागर मई-२०१९ । ढाल । कपूर होइ अति उजलो रे। माया निवारु मुलथी रे, माया मोहनुं जाल। धर्मतरुनि बालवा रे, माया मोहर्नु जाल ॥१॥ प्राणी छंडो माया जाल, जिम पामउ मंगल माल रे प्राणी०॥ (आंकणी) माया ते कपटनी ओरडी रे, कोरडी दुखनी खाणि । अपजस केरी उडणी रे, पुण्यतणी करि हाण रे प्राणी०...॥२॥ नरगपंथनी उरडी रे, पापतणी छइ वेलि। असत्य वचनी मावडी रे, माया दूरि मेल रे प्राणी०...॥३॥ षट् मित्रस्युं तप तप्यो रे, कपटि कर्यो तपभेद। मली जिणेसर ते दुहुयार रै, पाम्यो स्त्रीयनो वेदनो रे प्राणी०...॥४॥ आषाडभूतिं मउ(मु)नीसरु रे, मायामां मोदक दीधु। पंच माहाव्रत परिहरी, नटुइस्युं भोग ज कीधरे प्राणी०...॥५॥ माया चारीत्र पालीउ रे, बार वरसी जेह। राय उदाइंनि मारीउ रे, अभव्य साधु तेहरे प्राणी०...॥६॥ माया अभयकुमारनि रे, वेश्याइ नाखूपास। चंडप्रद्योतन नृप आगलि रे, आणी मुंक्यो उल्लास रे प्राणी०...॥७॥ कपिलां कपट बहु केवली रे, सुदर्सन तेडी गेह। उगं(अंग) उपांग देखाडी आइ रे, सीलि न चलो तेहरे प्राणी०...॥८॥ माया पुत्र मारवा रे, लाखनां घर करी दीध। काम लंपट ए लोभणी रे, चूलणीइं अगनीय दीधरे प्राणी०...॥९॥ युगबाहु मारो बंधवि रे, कपटि नाखी करवाल। नरगपंथ जई अवतरु रे, मणिरथ नामि भूपाल प्राणी०...॥१०॥ माया विश्व धुतारणी रे, धुतिराय निरंक। रावण सीता अपहरी रे, आणी मुकी लंकरे प्राणी०...॥११॥ माया ईश्वर नाचीउ रे, चंडीइ चूकाव्यु धान। व्र(ब्रम्हानो तप अपहरि रे, उरवसी करी तान रे प्राणी०...॥१२॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68