Book Title: Shrutsagar 2019 05 Volume 05 Issue 12
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 54
________________ 20 श्रुतसागर मई-२०१९ तिलके सेठ हुउ ते लोभी, धानना कोठार ज भरीया रे। पापिं तरी नीज पोतुं, नगर ते अवतरीया रे परिहरि...॥९॥ कंडरीक मुनि लोभि पडीउ, व्रत छंडी हूउ भूपाल रे। सिहकेशरी मुनि लाडु लोभि, भीक्षा भम्यो अकाल रे परिहरि...॥१०॥ लोभि चोर करइ ते चोरी, सहि मर्म प्रहार रे। लोभी कुष्टीनि ने वेश्या, वली भम्यु भरतार रे परिहरि...॥११॥ लोभि समुद्र उलंघी जावि, सेवि वन गिरवार रे। लोभि लोभ होइ अधिकेरो, नीच तणी करि आस रे परिहरि...॥१२॥ लोभ तणां फल विरुयां दीसि, छंडी भवीजन प्राणी रे। संतोष सु सदा रहु भीना, जिम लहु केवलनाण रे परिहरि...॥१३॥ नीर्लोभी मुनीसर मोटो, वयर नमु करजोडि रे। संतोष सरोवर मांहि झील्यो, कंचण कामणि छोडिरे परिहरि...॥१४॥ एहवु जाणी रुडा प्राणी, संतोषसु चित राखि रे। भवोदधीनो पार ज पामी, मुगति तणां फल चाखो रे परिहरि...॥१५॥ श्रीविजयप्रभूसीरीसर चंदो, तपगछ केरु दीवो रे। नीर्लोभी मुनीसर मोटो, ए ग(गु)रु घणु चिरंजीवो रे परिहरि...॥१६॥ ॥ इति श्री च्यार कषाए चतुर्थ लोभ कषाय स्वाध्याय संपूर्ण ||श्रुः || श्रीः॥ क्या आप अपने ज्ञानभंडार को समृद्ध करना चाहते हैं ? आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा में आगम, प्रकीर्णक, औपदेशिक, आध्यात्मिक, प्रवचन, कथा, स्तवन-स्तुति संग्रह आदि विविध प्रकार के साहित्य प्राकृत, संस्कृत, मारुगुर्जर, गुजराती, राजस्थानी, पुरानी हिन्दी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं में लिखित विभिन्न प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित अतिविशाल बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह है, जो हमें किसी भी ज्ञानभंडार को भेंट में देना है. यदि आप अपने ज्ञानभंडार को समृद्ध करना चाहते हैं तो यथाशीघ्र संपर्क करें. पहले आने वाले आवेदन को प्राथमिकता दी जाएगी.

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