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श्रुतसागर
ज्ञानमंदिर के सहयोग से प्रकाशित पुस्तकें
मई - २०१९
साहित्य जगत् में विद्वद्वर्ग को पुस्तक संशोधन-संपादन कार्य में ज्ञानमंदिर का अमूल्य सहयोग रहा है । ज्ञानमंदिर के सहयोग से अबतक विविध विद्वानों व प्रकाशकों के द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण पुस्तकों के नाम इस प्रकार हैं
१) बृहत्कल्पसूत्र/ संपादक- आचार्य शीलचंद्रसूरि म.सा., मुनि त्रैलोक्यमंडनविजय म.सा., २) द्वात्रिंशिद् द्वात्रिंशिका तथा ३) द्रव्यगुणपर्यायनो रास - आचार्य यशोविजयसूरि, ४) श्रीमद् देवचंद्रजी कृत चोवीसी तथा ५ ) श्रीपाल रास / संपादकप्रेमलभाई कापडिया, ६) योगशतक / संशोधक बालकृष्ण आचार्य वैद्यराज, ७) अचलगच्छीय ऐतिहासिक रास/ संग्रहकर्ता श्रीपार्श्व, ८) क्षमाकल्याणजी कृति संग्रह/ संपादक-मेहुलप्रभसागर म.सा., ९) महावीर चरियं/प्रकाशक - दिव्यदर्शन ट्रस्ट, इस पुस्तक का प्राथमिक अक्षरांकन, पृष्ठ सेटिंग आदि कार्य में सहयोग कर चार भागों में प्रकाशित किया गया है, १०) महावीर चरियं / संपादक - न्यायरत्नविजय म.सा., प्रकाशक- ॐकारसूरि ज्ञानमंदिर । इस प्रकार श्रुतसेवा व श्रुतोद्धार में संलग्न विद्वानों एवं संस्थाओं को ज्ञानमंदिर का सहयोग हमेशा से प्राप्त होता रहा है और होता रहेगा ।
(क्रमशः)
(अनुसंधान पेज नं. ३४ का)
इस प्रतिष्ठा के लिए तथा प्रतिष्ठाचार्य के लिए तपगच्छ श्रीसंघ, श्रीखरतरगच्छ श्रीसंघ व श्रीपार्श्वचंद्रसूरि गच्छ, इन तीनों गच्छोंने मिलकर निर्णय लिया व मुंबई में पूज्य आचार्यश्री के जन्मदिन पर विनंति हेतु पधारे व गुरुदेवनें इस कार्य हेतु अपनी स्वीकृति दी. तीनों गच्छों के त्रिवेणी संगमरूप संघ की उपस्थिति में सर्वसम्मति से उल्लास व उमंग के साथ प्रसंग संपन्न हुआ.
महोत्सव के प्रथम दिन श्री पार्श्वनाथ पंचकल्याणक पूजन, द्वितीय दिन क्षेत्रपाल स्थापना, माणक स्थापना, तोरण स्थापना, दस दिक्पाल पूजन, नवग्रह पूजन, अष्टमंगल पूजन, लघु नंद्यावर्त पूजन, भैरव पूजन, देव-देवी पूजन किये गये. तीसरे दिन परमात्मा का भव्यातिभव्य वरघोड़ा, चतुर्थ दिन प्रतिष्ठा व पंचम दिन भव्य द्वारोद्घाटन व सत्तरभेदी पूजा का आयोजन किया गया. साथ में अनेक धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम पूर्ण धार्मिक वातावरण में सम्पन्न हुए.