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श्रुतसागर
मई-२०१९
श्री तत्त्वविजयजी कृत चार कषायसज्झाय
डिम्पलबेन शाह धर्मनी आराधना करवाथी विषयनो विराग, कषायनो त्याग, गुणनो अनुराग तथा क्रियामां अप्रमादभाव जन्मे छ । साची भक्ति द्वारा केळवायेलो धर्म शिवसुखनी प्राप्ति माटेनो सरळ मार्ग बने छे। धर्मनी साची आराधना त्यारे ज संभव छे के ज्यारे कषायो नबळा बने । कषायोनी उपस्थितिमां करेल धर्म बळीने खाक थई जाय छ । कषायो संसारमा पोतानी केवी पकड जमावीने बेठा छे तेनुं हूबहू वर्णन करती एक प्रायः अप्रगट कृति आपनी समक्ष प्रस्तुत करवानो एक नानकडो प्रयास कर्यो छे। आम कषायो उपर घणी सज्झायो प्राप्त थाय छे पण आ कृतिनी लाक्षणिकता कंईक अलग छे, जे वाचकने स्वाभाविक रीते तेना तरफ आकर्षे छे। कृति परिचय
आ कृतिमां कविनी खासियत रही छे के जे ते कषायनी कटुतानो उपदेश देवो, ते संदर्भे ते ते कषायनो भोग बनेलाना दृष्टांत आपवा अने अंते ते ते कषायने जीतनारनुं एक उदाहरण टांकवु। आम एक नवा ज अंदाजथी विषयनी प्रस्तुती करती आ कृति वाचकना दिमागमां विषयने आसानीथी उतारी दे छे। चार कषायोनी कटुता चार ढाळोमां वर्णवाई छ । चार कषायमां क्या-क्या दृष्टांतो लेवाया छे अने कषायोने केवीकेवी उपमाओथी दर्शावामां आव्या छे तेनो टुंक सार नीचे प्रमाणे छे। क्रोध___ कर्ताए क्रोधने कायामां रहेल सगडी जेवो अने दुर्गतिनो दाता कह्यो छे । क्रोध यशनो नाशक, समकित तथा तपना नाश साथे चारित्रने मलिन करनार कह्यो छ। क्रोधनी भयंकरता दर्शाववा केटलाक दृष्टांतो पण कर्ताए टांक्यां छे। जेमकेपरशुराम, सुभूम चक्रवर्ती, ब्रह्मदत्त चक्री, नमुची अने विष्णुमुनिनी वात, पालक अने खंधकमुनिनुं दृष्टांत, द्वीपायन, कुणाला नगरीनी खाळ पासे काउसग्ग रहेल अने क्रोधथी वर्षा करनार बे मुनिओनी वात करी अंते क्रोधने परास्त करनार समताना साधक कुरगडु मुनिनो महिमा पण गायो छ।
“म करो क्रोध अजाण रे, ए छइ जिनवर वाणि रे"