Book Title: Shrutsagar 2016 12 Volume 07 Author(s): Hiren K Doshi Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org संपादकीय Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रामप्रकाश झा श्रुतसागर का यह नूतन अंक आपके करकमलों में सादर समर्पित करते हुए अपार आनन्द की अनुभूति हो रही है। इस अंक में “गुरुवाणी” शीर्षक के अन्तर्गत आचार्यदेव श्री बुद्धिसागरसूरि म.सा. का लेख प्रकाशित किया जा रहा है, जो गतांक से जारी है. इस लेख में संस्कारों की सुरक्षा व धर्म के प्रसार-प्रचार हेतु जैन गुरुकुल की स्थापना के बारे में पू. आचार्यश्री ने बहुत ही सुंदर प्रेरणादायी बातें बतलाई हैं, द्वितीय लेख राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के प्रवचनांशों की पुस्तक 'Beyond Doubt’ से क्रमबद्ध श्रेणी के अंतर्गत संकलित किया गया है। अप्रकाशित कृति प्रकाशन स्तंभ के अन्तर्गत इस अंक में “उन्नतपुर तीर्थमाला” नामक कृति प्रकाशित की जा रही है. मारुगूर्जर भाषा में पद्यबद्ध इस कृति का संपादन गणिवर्य श्री सुयशचन्द्रविजयजी म. सा. ने किया है. इस कृति में उन्नतपुर (उना) गाँव के विविध जिनालयों का ऐतिहासिक परिचय दिया गया है. डॉ. रश्मि भेदा द्वारा लिखित लेख “जैन साहित्य को प्रकाशित करनेवाले शा भीमशी माणेक” जैन साहित्य के मुद्रण के इतिहास पर प्रकाश डालता है. उस युग में जब लोगों की ऐसी धारणा थी कि जैन ग्रन्थों को प्रकाशित करने से उनकी आशातना होती है, ऐसे समय में श्रावक भीमशी माणेक ने जैन ग्रन्थों के प्रकाशन जैसे चुनौतीपूर्ण कार्य की शुरुआत की और १५ वर्षों में उन्होंने लगभग ३०० से अधिक ग्रन्थों का प्रकाशन किया. पुनःप्रकाशन श्रेणी के अन्तर्गत इस अंक में संवत् १९७० में जोधपुर में हुए “जैन साहित्य सम्मेलन” के ऊपर प्रकाश डाला गया है. इस सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए जर्मनी के प्रसिद्ध विद्वान डॉ. हर्मन जैकोबी के वक्तव्य के साथ-साथ सम्मेलन में किए गए ठरावों को भी क्रमशः प्रस्तुत किया गया है. आशा है इस अंक में संकलित सामग्री द्वारा हमारे वाचक लाभान्वित होंगे व अपने महत्त्वपूर्ण सुझावों से अवगत कराने की कृपा करेंगे, जिससे अगले अंक को और भी परिष्कृत किया जा सके। For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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