Book Title: Shrutsagar 2016 12 Volume 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 16 SHRUTSAGAR December-2016 ढाल-राग-सारंगी श्रीमाली जेबीको ठक्कर, लाच्छि बहुनइ बहूला चक्कर, जेथी दरिं जावइ तक्कर, वाणी मीठी जेहवी सक्कर श्रीमाली.....॥१॥ प्रथम भूमिका सुंदर भाली, कचरो कश्मल तिहाथी टाली, नवि अमृत्तिका थाली चाली, इणिपरि वंशावलि अजुआली ज्ञाति सोहावी श्रीश्रीमाली श्रीमाली.....॥२॥ तेणइ ए प्रासाद कराव्यो, चउदसत्योत्तरो जिहारइ आव्यो, धर्म करइ ते सहुइ काव्यो, ते जाणो लक्ष्मी घरि लाव्यो श्रीमाली....॥३॥ तस वंशिं सुत जूठो आवइ, शत्रुजयनो संघपति थावई, ते वलि सघलइ वात जणावइ, तिहारिं संघपति नाम कहावइ श्रीमाली...४॥ धन-धन कमला तास कमाइ, धर्म तणइ कामइ जे आइ, तेणइ त्रिभुवनि कीर्ति ज गाई, गावा बहु जिन बहुंसि लगाइ श्रीमाली...॥५॥ तस कुलि व्यवहारी वरजांग, आम जनस्युं बहुलो संग, धर्म तणो जस अविहड रंग, कीरति तेहनी हजिअ अभंग श्रीमाली...॥६॥ तस स्त संघवी श्रीअंबराज, ते करइ उत्तम धरमना काज, दानगुणे करी श्रावक जाणुं, तस कुलि दीपक वाछा वखाणुं श्रीमाली...॥७।। तस संतानि संघपति हरपति, एह उद्धरइ जिनगृह संप्रति, वसइ दीवि ते अधुना धनपति, तूसो एहनइ नेमिजी जिनपति श्रीमाली...॥८॥ संवत सोल असीइं जाणुं, ए उद्धार किउ लहि टाणुं, कइ खरच्यु एणइ निज नाणुं, तिम तिम मंदिर लच्छि भराणुं श्रीमाली...॥९॥ एणइ देहरइ त्रणि गंभारा, एक एकथी दीसइ सारा, जाणुं धर्म तणा भंडारा, सोहइ जाली त्रणि दुवारा श्रीमाली...॥१०॥ दुहा मूल गभारइ नेमिजी, पासिं ऋषभ जिणिंद, बीजइ पासिं सामलो, पास दिइ आणंद समुद्रविजयसुत गुणभर्यो, भवसायरमां पाज, हुं हिअडइ हरख्यो घणुं, जव निरख्यो जिनराज ॥१॥ ॥२॥ For Private and Personal Use Only

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