Book Title: Shripal Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, 
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 8
________________ रा तस शिर मुगट मनोहरु, निरुपम नयरी उजेण ॥ ललना ॥लखमी खंफ.१ लीला जेठनी, पार कलीजे केण ललना॥दे॥२॥सरगपुरी सरगेगा, आणी जस आशंक ॥ ललना ॥ अलकापुरी अलगी रही,जलधि ऊंपावी लंक ॥ ललना ॥ दे॥३॥ प्रजापाल प्रतपे तिहां, नूपति सवि शिरदार ॥ ललना ॥राणी सौनाग्यसुंदरी, रूपसुंदरी जरतार ॥ ललना ॥ दे॥ ४ ॥ सहेजे सोहगसुंदरी, मन माने मिथ्यात ॥ खलना ॥ रूपसुंदरी चित्तमा रमे, सूधी समकितवात ॥ ललना ॥ दे ॥५॥ & अर्थ-जेम मस्तकने विषे मुकुट शोने ,तेमते मालव देशना मस्तकने विषे मुकुट समान शोनानी धरनारी तथा जेने कोई वस्तुनी उपमा श्रापी तेनी बराबरी करी शकीए एवी चीज जगतमां नथी । तेथी निरुपम , तथा जेनी लक्ष्मीनी लीलानी कलना करी कोण पार पामी शके ? एवी उजायणी नामे है नगरी ॥२॥ते उड़ायणी नगरीनी शोना जोश्ने खर्गपुरी नगरीए विचाखु जे ढुं जो अहींयां रहीश तो एनी बागल मने कोश्वखाणशे नहीं,एवी मनमां श्राशंका लावीने ते खर्गने विषेजती रही, तथा अलकापुर। जे धनद लोकपालनी नगरी ते पण थाशंका थाणीने उजायणीथीथलगी एटले वेगली। जती रही, अने संका नगरीथी तो उड़ायणी नगरीनु तेज खमायुं नहीं, माटे ठमक करवा सारु जलधि जे समुज तेमां (ऊंपावी के०) कंपापात कस्यो॥३॥ तिहां ते उड़ायणी नगरीने विषे सर्व राजानो शिरदार एवो प्रजापाल नामे राजा ते (प्रतपे के) प्रकर्षे करीने तपे तेने प्रतपे कहीए, एटले ते राज्य करे . ते राजा एक सौनाग्यसुंदरी अने बीजी रूपसुंदरी ए वे ॥२॥ पट्टराणीउनो ( जरतार के ) स्वामी ॥४॥ हवे ते वे राणीमां जे सौजाग्यसुंदरी राणी , ते तो सहेजे एटले वनावे पोताना मनने विषे मिथ्यात्वीना धर्मने मानी रहेली बे, अने रूप-14। Sain Educationa l al For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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