Book Title: Shripal Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek,
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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श्रीराम
॥४॥
नय जाणे नवतत्त्वना, पुजल गुण पर्याय ॥ ललना॥ कर्मग्रंथ कंठे कस्खा, खंम.१ समकित शुझ सुदाय ॥ ललना ॥ दे॥१६॥ सूत्र अर्थ संघयणनां, प्रवचनसारोधार ॥ खलना ॥ त्रिविचार खरा धरे, एम अनेक विचार ॥ खलना ॥ दे० ॥ १७ ॥रास नलो श्रीपालनो, तेदनी पदेली ढाल
॥ ललना॥विनय कदेश्रोताघरे, होजो मंगलमालाललना ॥दे॥१७॥ | अर्थ-वली नवतत्त्वने निश्चय तथा व्यवहार नये करीयुक्त जाणे , तथा पुजल व्यना गुण अने पर्याय सर्व जाणे , श्रने कर्मग्रंथ जणीने जेणे कंठे कस्या , एटले मुखपाठे कस्या बे. एवी रीते ते कुंवरी शुष समकिते करी (सुहाय के०) शोजायमान यश् ॥ १६ ॥ वली संघयणीनां सूत्र एटले मूलपाठ तथा तेना अर्थ, ते सर्वने जाणे , तथा प्रवचनसारोकार ग्रंथने जाणे बे. वली देत्रसमास संबंधी जे क्षेत्रना विचार, तेने खरेखरा धारी राख्या . ए रीते अनेक प्रकारना| विचारोने मयणासुंदरी जाणे ॥ १७ ॥( जलो के० ) रुडो एवो जे श्रीपाल राजानो रास, | तेनी ए पहेली ढाल संपूर्ण थर. श्री विनयविजय उपाध्यायजी कहे के श्रोता एटले सांजलनाराजनां घरने विषे मांगलिकनी माला होजो ॥ १७ ॥ इति ॥
॥दोहा॥ इक दिन अवनीपति इस्यो, आएयो मन उल्लास ॥
पुत्री-जो पार, विद्या विनय विलास ॥१॥ __ अर्थ-हवे एक दिवसे श्रवनी जे पृथ्वी तेनो पति जे प्रजापाल नामे राजा, तेणे मांहेली सनामांEng बेतां थका पोताना मनने विषे एवोज उदास श्राण्यो जे हुँ मारी बेहु पुत्रीनुं पारखं तो जो जे | ए केवी विद्या नणेली ? तथा वली विनयनो विलास पण एमनामां केवो ?॥१॥
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