Book Title: Shripal Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, 
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ कवित कलागुण केलवे, वाजिन गीत संगीत ॥ ललना ॥ ज्योतिष वैद्यक विधि जाणे, राग रंग रसरीत ॥ललना ॥ दे ॥ १३ ॥सोल कलापूरण शशी, करवा कला अभ्यास ॥ ललना ॥ जगति नमे जस मुख देखी, चोसठ कलाविलास ॥ ललना ॥ दे॥१४॥ मयणासुंदरी मति अति जली, जाणे जिनसिक्षांत ॥ ललना ॥ स्थाबाद तस मन वस्यो, अवर असत्य एकांत ॥ ललना ॥ दे ॥ १५॥ अर्थ-ते कुंवरी कवित करवानी कलारूप गुणने केलवती थकी एटले सुधारती थकी वाजिंत्र वगामवां गीत ते स्वरबद्ध गीत गावां तथा संगीत ते वाजिंत्र नाटकनां गीत तालबछ जाणवां तथा ज्योतिष-18 शास्त्र, वैद्यकशास्त्र तेना विधि जे प्रकार, ते सर्वने जाणे, अने ब राग तेना रंग तथा नव रस तेनी रीत ए सर्वने जाणे एटले ए पूर्वोक्त सर्व शास्त्रना रहस्यनीजाणनारी थ॥१३॥श्हां कवि उत्प्रेक्षा करे के (जस के०) जे कुंवरीनु मुख देखीने सोल कलाए करी पूर्ण एवो जे (शशी के०) चंद्रमा 0 ते विचार करवा लाग्यो जे था मयणासुंदरी तो संपूर्ण चोस कलानो विलास , अने हुँ तो मात्र सोल कलाए करी सहित बुं, माटे हुँ पण जो चोसठ कलानो अज्यास करूं तो एना जेवो था, एवं चिंतवीने वधारे कलाउनो अज्यास करवा माटे मयणानुं मुख देखीने जगतमां भ्रमण करवा लाग्यो, एटले आकाशमां नमतोज फरे बे, तोपण ते सोलथी वधती को सत्तरमी कलाने पामतो नथी ॥ १४ ॥ वली मयणासुंदरीनी (मति के० ) बुद्धि ते अत्यंत नली , श्रीजिनराजना सिझ-13 तने ते जाणे बे तथा जगवंते जे स्याहादरूप अनेकांत मार्ग प्ररूप्यो , ते तेना मनमां वसी रह्यो । शा, अने (अवर के०) बीजा जे एकांतवाद मतनी प्ररूपणा करनारा मार्गो , ते सर्वने असत्य करी जाण्या बे, एवी ते कुंवरी थबे ॥ १५॥ Sain Education International For Personal and Private Use Only ainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 420