Book Title: Shripal Rajano Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 7
________________ इद जव परजव एदथी, सुख संपद सुविशाल ॥ रोग सोग रौरव टले, जिम नरपति श्रीपाल ॥ ६ ॥ पूबे श्रेणिक राय प्रभु, ते कुण पुण्य पवित्र || इंद्रभूति तव उपदिशे, श्री श्रीपालचरित्र ॥ ७ ॥ अर्थ- हथी एटले ए नव पदना सेवनथी या जवने विषे तथा परजवने विषे सुविशाल एटले अत्यंत मोटां एवां सुख छाने ( संपद के० ) दोलत पामीए, तथा रोग, शोक अने ( रौरव के० ) महा बिहामणा विकट एवा दुष्काल प्रमुखना जय अथवा रौरव एटले नरक तेनुं दुःख ते टली जाय, जेम श्रीपाल राजा ए नव पदना सेवन थकी शद्धि सिद्धि प्रत्ये पाम्यो, तेम तमे पण पामो ॥ ६ ॥ एवं सांजलीने श्रेणिक राजा श्री गौतमस्वामीने पूढवा लाग्या के हे प्रभु ! ए पवित्र पुण्यनो धरनारो एवो श्रीपाल राजा ते कोण थयो ? तेनी कथा अमोने कही संजलावो. ( तव के० ) ते वारे इंद्रभूति श्री गौतमस्वामी ते श्रेणिक राजा प्रमुखने (श्री के० ) कल्याणरूप लक्ष्मीवंत एवं श्रीपाल | राजानुं चरित्र ते प्रथमथी मांगीने ( उपदिशे के ० ) कहे बे ॥ ७ ॥ ॥ ढाल पहेली || देशी ललनानी ॥ ॥ देश मनोदर मालवो, प्रति उन्नत अधिकार ॥ ललना || देश प्रवर मानुं चिहुं दिशे, परवरिया परिवार || ललना || दे० ॥ १ ॥ अर्थ - अत्यंत (उन्नत के०) उंचुं वे अधिकारी पणुं जेनुं एटले सर्व देशोमां मोटो एवो मनोहर सुंदर मालव नामे देश बे, ते देश बीजा सर्व देशोनी मध्यमां आवेलो बे, माटे कवीश्वर कहे बे के ते मालव देशने ( वर के० ) बीजा जे चारे दिशाए रहेला देशो बे, ते सर्व ( मानुं के० ) जाएं बुं जे मालव देशनो परिवार बे, ते देशोना परिवारे परवस्यो थको, वींट्यो थको शोने बे. यामां " ललना" ए पद जे बे ते वाक्यालंकारने अर्थे बे. जेम आभूषणे करी माणस शोने, तेम ललना ए पदे करी वाक्य शोने बे ॥१॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 420