Book Title: Shokshaka Prakarana Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, Yashovijay of Jayaghoshsuri
Publisher: Divya Darshan Trust
View full book text
________________
१० षोडशकप्रकरणं
* विषयमार्गदर्शिका *
विषय
पृष्ठ
0
0
.. ३४०
... ३४१
.......... 3४१
0
W
383
उ४॥
३४६
५२मात्मा ४ शत रोग दू२ ४२ ? .... भगवदुत्कृष्टरूपप्रयोजनप्रकाशनम् ..... ईश्वरस्य सर्वगत्वविचारः ........ अप्रमत्तगुणस्थानकेंऽशतःशुक्लध्यानस्वीकारः ध्यानपशिगमनना यार ........... प्रातिभज्ञानविचारः .......... समयसारवचनव्यवस्थापनम् ....... પ્રાતિભ જ્ઞાનને ઓળખીએ. अनाजन योग सपो........... ............ ४३ ब्रह्मगतबृहत्तमत्वनिरुक्तिः ......
३४४ अनाजन योगनी परिय५............... .............. परतत्त्वस्य दृष्टस्याऽनालम्बनयोगातिक्रान्तत्वम् ............ સામર્મયોગની સમજણ..
.............. परतत्त्वध्यानस्य निरालम्बनत्वमेव .. निश्चय-व्यवहाराभ्यां ध्यानविचारः इषुपातदृष्टान्तयोजना.....
शाननी ७ विशेषता नागामे ........ ............ 3४८ ज्ञानस्य ज्ञेयदेशागमनसमर्थनम् ........... .......... सिद्धदर्शनस्य सर्ववस्तुज्ञानव्याप्यत्वम् ....... ३४९ द्रव्य-भावज्योतिर्निरूपणम् ................ परतत्पना २३ विशेषाशोनो परियय ........ ............. ૩૫૦ परतत्त्वस्य ब्रह्मत्वसमर्थनम् परतत्त्वस्याऽरूपित्वेऽप्यादित्यवर्णोपमोपपत्तिः स्वाभाविकसुखस्वरूपप्रकाशनम् .... ............. ३५३ षोडशं समरसषोडशकम्
.......३५६-३७४ परमानन्दप्रकाशनम् . પરતવના પર્યાય શબ્દો भुतिनी वियारा...............
............ ૩૫૭ निर्गुणताया गुणाभिमानशून्यतापरत्वम् ... सौदरनन्दकाव्यनिराकरणम् .......... परिणामस्वरूपप्रकाशनम् .......... मोक्षमा अन्यशनात वस्तुनो स्वी२ .................. पशिामी मात्मानो स्वीजर........... .................. एकान्तनित्यत्वानित्यत्वादिनिराकरणम् ...... सहजमलविचारः ..
. ३६१
विषय तपक्षमा असंगति ..........
........... उभ आत्मभिन्न भने वास्तवि छ.......................
भजधनी विविध योग्यता मात्मामा छ............ तथाभव्यत्वमीमांसा जीवगत-योग्यताविशेषसमर्थनम् .. ........... तीर्थ५२सिदत्य वगैरे योयनाविशेषप्रयु .......... स्याद्वादसमर्थनम् ............ अद्वैतवाद असंगत .......... आत्माद्वैत-ज्ञानाद्वैतनिराकरणम् ........ विकल्पस्वरूपविद्योतनम् ............ नानातन्त्रानुसारेण कर्मस्थापनम् .........
रुपनानी पना अयोय .............................. स्मृति-पुराण-बौद्धग्रन्थादिनाऽपि कर्मसिद्धिः परागमद्वेषनिषेधः ........................ भूबामना में भागने मागी...................... परकीयागमसद्वचनारुचिः = दृष्टिवादाऽरुचिः ........ अन्य धर्मना शासी ५२ ५। ५ न २ को ......... अद्वेष-जिज्ञासादिनिरूपणम् ......... ........... तत्पमा अष्टांगप्रवृत्ति ......... ગ્રંથફલોપદેશ ज्ञान-क्रियानयमतविचारः ज्ञान-कर्मसमुच्चयस्थापनम् . अंथरयना प्रयोशन ........ मधुश्रुत पासे । धर्मश्रवा ४२-श्रीहरिभद्रसूरि ...... 3७४ बहुश्रुतव्याख्यानम् ..... कल्याणकन्दलीकृतप्रशस्तिः ....... परिशिष्ट-१.............. परिशिष्ट-२..........
............ परिशिष्ट-3.........
........... परिशिष्ट-४
.......... परिशिष्ट-५. परिशिष्ट-६ ..... परिशिष्ट-७.......
....... परिशिष्ट-८ ......... परिशिष्ट-८..........
............
AMM WWWWWWWWWWWWWWWWW
७ ८ ० 60MMMMMMMMM
उ७०
३४९
३५१
......
AWAN AM
...........
.................
૩૫૬,
3८०
MM m my mm
...........
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 250