Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 09
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ . // 7 / 194 // // 7195 // // 71196 // // 7197 // . // 7/198 // // 7/199 // प्रमादो वाचमादत्त मम लोकोत्तरं तरः / जनमुच्चपदारूढं पातयेऽधः क्षणादहम् . श्रुतकेवलिनः शान्तमोहा ये च चतुर्विदः / तान्निगोदावटे कालमनन्तं वासयाम्यहम् मदादिष्टो जले खेलत्यसंभाव्य निमज्जनम् / प्रेङ्खति द्रुषु भूपातादङ्गभङ्गमचिन्तयन् अक्षैर्दीव्यत्यमन्वानो महत्त्वंभ्रंशमन्वहम् / विकथाः कुरुते लोकद्वयबाधामनामृशन्, ' वैरं च वर्द्धयत्येतत् क्लेशायैवेत्यसंविदन् / . जागरं पादपीडां वापश्यनृत्यादि पश्यति मद्यं पिबति वैवस्त्र्यं वमनं चाविचारयन् / कामे गृध्यति यक्ष्मादिरोगोदयमवेदयन् , योधयत्यङ्गिनो नित्यं वित्तव्ययमतर्कयन् / पापर्द्धि यात्यमन्वानश्चातपभ्रमणश्रमम् व्यसनालस्यसंवेशविषयोच्चावचोक्तयः / अन्येऽप्येवंविधा नैके ममाभ्यन्तरसेवकाः मगुशेलकसोदासकण्डरीकमरीचयः / अमी अनुचरा बाह्यपार्षदा मम हर्षदाः एवं सर्वेषु वीरेषु निगदत्सु निजं बलम् / मोहः प्रक्षरितसिंह इव सोऊं जगर्ज सः सदा सत्यामृषासत्यभाषाभेदा अनेकशः / रिपुहृत्क्षोभकारीणि नेदुर्वाद्यानि संभ्रमात् अपध्यानशुभध्यानभिदोर्मोहविवेकयोः / वीराश्चकर्षुरस्त्राण्यनुपयोगविधानतः // 7200 // // 7/201 // // 7202 // // 7 / 203 // // 7204 // // 7 / 205 // 287
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