Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 09
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 71454 // // 7 / 455 // // 7456 // // 7 / 457 // // 7458 // // 7 / 459 // नाशनाया पिपासा वा नातयो न बिभीषिकाः / यत्र तत्र शिवस्थाने स ध्रुवं वासमेष्यति अनन्तदर्शनज्ञानवीर्यानन्दसुधाशितः / स सुखायिष्यतेऽनन्तं कालं तत्राकुतोभयः नित्यमम्लानसद्ज्ञानदर्शनज्योतिराश्रयः / स राजेति निजं नाम नेता सार्थकतां तदा पृथिव्या आगतत्वेन पार्थिवः स प्रकीर्तितः / प्रजापालोऽपि निर्मुक्तनिखिलारम्भसंभवः मौलिना ध्रियते मौलिरिव त्रिभुवनेन सः / अतो मतो मतिमतामेष त्रिभुवनप्रभुः सर्वोपप्लवमुक्तत्वादेष एव सदाशिवः / विष्णुश्च येन वेवेष्टि लोकालोकं चिदात्मना स्वयंभूतो न केनापि जनितो जन्मवर्जितः / भगवानयमेवेति स्वयंभूरज इत्यपि कर्मबद्धात्मसूत्कर्षात्परमात्मा स उच्यते / परमज्ञानयोगाच्च परमब्रह्मनामभाक् कथंचिल्लक्ष्यते न ज्ञैरप्यलक्ष्यस्ततः स्मृतः / एको द्रव्यधियानन्त्यात्पर्यायाणामनेककः . विनाभूतः सत्त्वरजस्तमोभिस्तेन निर्गुणः / ज्ञानादिगुणयोगेन गीयते स महागुणः अव्यक्तो व्योमकल्पत्वाद् व्यक्तस्तद्गुणवर्णनात् / भावः शिवस्य पर्यायैरभावस्तु भवस्य तैः तत्र स ज्ञानदृष्टिभ्यां चेष्टावान् सकलस्ततः / आश्रित्य वाग्वपुश्चेष्टा निष्कलोऽप्येष कीर्त्यते . .. 306 // 71460 // // 7461 // // 7462 // // 71463 // // 7464 // // 7465 //
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