Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 09
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 314
________________ विण्मूत्रमलदुर्गन्धं लालानिष्ठ्यूतनिन्दितम् / कृतनाशि सतां वासोचितं नेदं पुरं तव // 7 / 406 // मणिमुक्ताफलस्वर्णरौप्याद्यं नात्र किञ्चन / किन्तून्मीलति रक्ताद्यमेव यत्रेदमीक्ष्यते // 7407 // अन्नं पानं घृतं घोल: सिता दुग्धं फलं दलम् / विनश्यत्यत्र संक्रान्तं सर्वं बीजमिवोखरे // 71408 // शय्यादुकूलताम्बूलपुष्पगन्धविलेपनम् / सक्तमेतेन मेतेन कुल्यवद्रूष्यते खलु // 7409 // निवेश्यतेऽस्य कोष्ठेषु नीरमन्नमनारतम् / स्वास्थ्यं तदपि नायाति रङ्काधिकविचेष्टितम् // 7410 // विधीयन्तेऽस्य संस्कारा बुद्धैर्नित्यं नवा नवाः। . तथाप्यशुचितां वर्षोवेश्मवद्विजहाति न // 71411 // शिलोपलगिरिग्रावतटीकर्करधूलिभिः / अस्य संभाव्यते भूमिभेदैर्भङ्गर्भयं बुधैः // 71412 // सरः स्रोतः सरित्कूपदाम्बुध्यतिवृष्टिभिः / भूयोभिरम्भसां भेदैर्भवत्येवास्य विप्लवः // 7413 // वह्निविद्युद्दवालातकुकूलाद्या दहन्त्यदः / महावातोर्ध्ववाताद्या वायवोऽपि हरन्ति वा // 7 / 414 // विषं विषफलं शङ्कुयन्त्रमुद्गरयष्टयः / . रज्जुपाशातिवल्भाश्चेत्येतद्धन्ति वनस्पतिः // 7415 // द्वीन्द्रियैः शुक्तिंशम्बूकंजलौक:कृमिकीकसैः / त्र्यक्षैः पीलकमंत्कोटघृतेलीकीटमत्कुणैः // 7416 // पतङ्गभ्रमरीदंशवृश्चिकैश्चतुरिन्द्रियैः / अस्य निःस्वामिकस्येव विपदः स्युः पदे पदे // 7417 // .. .. . 305 . पिलवः .

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