Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 09
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ स्याद्वादसिन्धुरारूढो दधदास्तिक्यमायुधम् / सम्यग्दृष्टिरथामात्यो मिथ्यादृष्टिमभीयिवान् // 7 // 229 // रे रे तव कति ब्रूमोऽपराधान्विश्वविश्रुतान् / मदस्त्रधाराधौतस्य तेषां तेऽस्तु मजाधुना // 7 / 230 // इत्यसौ तर्जितस्तेन वितेने पञ्चरूपताम् / साभिग्रहेतराशङ्कानाभोगाभिनिवेशतः // 7231 // जघानैकेन घातेन समं सर्वाणि तानि सः / दोष्मान् बिभेति नारिभ्यो दारुभ्य इव पावकः // 7232 // मिश्रो मिथ्यादृशा युञ्जन् क्षायोपशमिकोऽपि च / तद्रव्यभूरतस्तेन रणे तावपि पातितौ // 7233 // तदा शमादिभिवीरैरनिवार्यपराक्रमैः / निहते मध्यमे द्वे द्वे रूपे क्रोधादिविद्विषाम् // 7234 // अथ मन्मथमालोक्य सन्नह्यन्तं युयुत्सया / वीरो भवविरागस्तमभ्यधाविष्ट निष्ठुरः . // 7235 // अनित्यभावभल्लीकं संन्यासद्विरदासनम् / तमायातं स्मरः स्मेर: कोपकम्प्रौष्ठमभ्यधात् // 74236 // हंहो समागच्छसि तुच्छबुद्धे ! न वेत्सि किं मां विषमास्त्रवीरम् / अमी मम प्राणभिदे परेर्षा बाणाः सपक्षोरगसख्यभाजः॥ 7 / 237 // रामा नाम्ना मामका येऽत्र योधाः काङ्क्षाभिख्या मार्गणा य तदीयाः / भिन्दन्त्येते हृध्ध्रुवं वज्रपाणेः प्राणेनान्तर्वज्रसन्नाहभाजः // 7 / 238 // यो पलायनकलां जययाने तन्वताधिगमितस्तव तातः / प्राग्मया किमु न स प्रददौ तेऽद्यापि तां शिशुतया तदिहागा:७१२३९ धिग् दैवं यद्भवानद्याभिषेणयति मामपि / इत्यहङ्कृतवाचा कं नाकम्पयदनन्यजः // 7240 // 289
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