Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 09
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 307
________________ अज्ञानं मानम्लानिमविन्दत निन्दामूहे मोहबलं त्वयि, युध्यति वीरविवेक ! स को यः प्रथयति युधि निजबाहुबलम् 7 / 326 सूरिराज निर्व्याज विनयनतचरणसरोरुह सकलसमीहितविभवदाननिर्जरभूमीरुह अवितथदृक्पथमथन मारसंतमसदिवाकर सुरकिनरनरनिकरगीतगुणमणिरत्नाकर करुणानिवेशपेशलहृदय जिनपतिसेवालब्धवर वीरावतंस जमदनिशमव नृप विवेक विघ्नौघहर एवं छन्दोभिरुद्गीतं बन्दिना सूनुविक्रमम् / शृण्वती जननी जातरोमाञ्चेत्यवदत्तदा , // 7328 / / . चिरं जीव मम प्रीतिवल्लिविश्राममण्डप ! / . विवेक ! वत्स ! वात्सल्यवाद्धे ! विख्यातविक्रम ! // 7329 / / बलि बलवतोर्बाह्वोन्युञ्छनं नेत्रयोस्तव / . पौन:पुन्येन कुर्वेऽहं विक्रमस्यावतारणम् // 7330 // भव्या इव गता मेऽद्य सिद्धिं वत्स ! मनोरथाः / मन्ये मुक्तिरिवेदानीं स्वं विश्वोपरिवर्त्तिनम् // 7331 // अधृष्यास्म्यहमेकेन त्वया सिंहीव सूनुना / बह्वपत्याभिरप्यन्यरामाभिः सरमायितम् / // 7332 // त्वयि दत्ता रह:शिक्षा अशेषाः फेलुरद्य मे / जय जीव चिरं राज्यं कुरुष्वेत्याशिषोऽपि च // 7333 / / नीतं कुलमिदं जात ! त्वयैकेन सनाथताम् / दीप्तेन नायकेनेव ध्वजिनीसार्थवाहवत् // 7/334 // इति मातुर्गिरः शृण्वन् पश्यन्नायो धनावनीम् / मोहवर्यमवैक्षिष्ट जीवन्तं तातमेव सः // 7335 // दृष्ट्वा तमप्यतिक्षामं सोऽवादीदुल्लसत्कृपः / . . मया मोहे हते तात त्वयैवं किमु खिद्यते // 7 / 336 // 298

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