Book Title: Shadavashyak Balavbodha
Author(s): Merusundar Gani, Niranjana Vora
Publisher: Niranjana S Vora
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૧૦૮
મેરુસુંદરગણિરચિત પડાવશ્યક બાલાવબોધ
मूलम् एगारसिंह उवासगपडिमाहिं ।। सू. १० ॥
छाया एकादशभिरुपासकप्रतिमाभिः ॥सू. १० ॥
मूलम् बारसहिं भिक्खुपडिमाहि ॥सू. ११ ॥
छाया दादशभिभिक्षुप्रतिमाभिः ॥ सू. ११ ॥
मूलम् तेरसहिं किरियाठाणेहिं ॥ सू. १२ ॥
छाया
त्रयोदशभिः क्रियास्थानैः ॥ सू. १२ ॥
मूलम् चउद्दसिंह भूयग्गामेहिं । पन्नरसहि परमाहम्मिएहिं । सोलसहिं गाहासोलसएहिं सत्तरसविहे असंजमे । अट्ठारसविहे अबंभे । एगूणवीसाए नायज्झयणेहिं । वीसाए असमाहिट्टाणेहिं ।। सू. १३ ॥
छाया चतुर्दशभिर्भूतग्रामैः । पग्चदशभिः परमाधार्मिकैः । षोडशभिर्गाथाषोडशकैः । सप्तदशविधडसंयमे । अष्टादशविधेडब्रह्माणि । एकोनविंशत्या ज्ञाताध्ययनैः । विंशत्याडसमाधिस्थानैः ॥सू. १३॥
मूलम्
एगवीसाए सबलेहिं ॥ सू. १४॥
छाया
एकविंशत्या शबलैः ।।सू. १४॥
मूलम् बावीसाए परिसहेहिं ॥ सू. १६।।
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