Book Title: Sanskrit Vangamay Kosh Part 02
Author(s): Shreedhar Bhaskar Varneakr
Publisher: Bharatiya Bhasha Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 588
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मीमांसा/व्याकरण। भाषा-परिच्छेद (?) दर्शन का लोकप्रिय ग्रंथ में की है चतुर्दण्डिप्रकाशिका। 303 नवद्वीप में न्यायशास्त्र का - पक्षधर मिश्र । वासुदेव विद्यापीठ (?) ने प्रथम सार्वभौम । रघुनाथ स्थापित किया- शिरोमणि । रघुनंदन। 304 दत्तसम्प्रदायी संस्कृत - वासुदेवानंद सरस्वती। ग्रंथों के (?) लेखक थे गुलाबराव महाराज । नरसिंह सरस्वती । श्रीपाद वल्लभ। 305 (?) के पति अशिक्षित - विजका । विकटनितंबा। थे मोरिका । गार्गी। 306 माध्वमत के मुख्य - आनंदतीर्थ । विजयतीर्थ । व्याख्याकार (?) थे- महेन्द्रतीर्थ विजयध्वजतीर्थ 307 (?) विज्ञानभिक्षु की - सांख्य-प्रवचनभाष्य। रचना नहीं है सांख्य तत्त्वकौमुदी। योगवार्तिक । विज्ञानामृत भाष्य 308 मिताक्षरा (?) स्मृति की - मनु । याज्ञवल्क्य । टीका है पराशर । वसिष्ठ 309 गुजराथ में पुष्टि संप्रदाय - वल्लभाचार्य/ गोपीनाथ/ का प्रचार करने का श्रेय पुरुषोत्तमाचार्य । विठ्ठलनाथ (?) को है310 पंचदशीकार विधारण्य - सायणाचार्य । माधवाचार्य । स्वामी का मूलनाम विद्यानाथ । विद्यावागीश। (?) था311 विद्यारण्य (?) पीठ के - शृंगेरी । पुरी । द्वारका । आचार्य थे ज्योतिर्मठ 312 जिनसहस्रनाम की रचना - विनयविजयगणि। (?) ने की है- विनयचन्द्र। सिद्धसेन। विद्यानन्दी। 319 संस्कृत सुभाषित-कोशों - सुभाषितसंग्रह/ में (?) सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है- सुभाषितरत्नभाण्डागार/ सुभाषित-रत्नाकर/ सुभाषितरत्नकोश। 320 वैदिक ऋषियों में (?) - च्यवन/ विश्वामित्र/ का चरित्र वैविध्यपूर्ण है विव्री काश्यप/ वसिष्ठ । 321 शंकरस्वामी कृत हेतु - जापानी/चीनी/ विद्यान्यायप्रेवश नामक सिंहली/भोट । बौद्ध न्यायग्रंथ का (?) भाषा में हुआ है322 गुजराथ के साहित्यिक - द्वारका/मोरवी/जामनगर मूळशंकर याज्ञिक (?) वडोदरा के महाविद्यालय में प्राचार्य थे 323 विश्वमित्र ने (?) को - शुनःशेप/शुनःपुच्छ/ अपना पुत्र माना- हरिश्चद्र/ सुदास। 324 विश्वामित्र ऋषिका - विश्वरथ/ विश्ववादी/ मूलनाम (?) था- कौशिक/गाधिज 325 विश्वामित्र ने (?) से - शक्ति/ पराशर/ वसिष्ठ/ सतत विरोध किया- हरिश्चन्द्र। 313 चोलविलासचम्पू में - आंध्र/कर्णाटक/ वर्णित चोल राजवंश तामिलनाडु/ केरल (?) प्रदेश का था314 ज्योतिःशास्त्र-विषयक - विश्वनाथ/ गणेशदैवज्ञ/ 18 टीकाग्रंथों के केशवदैवज्ञ/ नृसिंह बापूदेव। लेखक (?) थे315 कोशकल्पतरु के - मेवाड/ जयपुर/ इन्दौर/ रचयिता विश्वनाथ (?) वडोदरा । के निवासी थे316 साहित्यदर्पणकार - अलंकार/ रीति/ रस/ विश्वनाथ (?) वादी थे- ध्वनि। 317 विश्वनाथ चक्रवर्ती की - रामायण/ भागवत/ सारार्थदर्शिनी (?) की अलंकारकौस्तुभ/ उज्ज्वल प्रसिद्ध टीका है- नीलमणि। 318 विश्वनाथ पंचानन का - न्याय/वैशेषिक/ 326 पंच महापातकों में (?) - ब्रह्महत्या/ सुरापान/ नहीं गिना जाता- असत्यभाषण/ चोरी 327 (?) ने शांकरमत को - विश्वासभिक्षु/ विज्ञानभिक्षु पाखंड कहा है- भिक्षुकाश्यप/ धर्मकीर्ति। 328 रणवीरज्ञानकोश के - विश्वेश्वर पंडित/रामावतार रचयिता (?) थे- शर्मा/ यादवप्रकाश/ दक्षिणामूर्ति। 329 सर्वज्ञसूक्त के रचयिता - आनंदबोध/ विष्णुस्वामी/ (?) थे उद्गीथाचार्य/ षड्गुरुशिष्य । 330 रुद्रसंप्रदाय के प्रवर्तक - विष्णुस्वामी/ शिवस्वामी/ (?) थे वल्लभाचार्य/ श्रीधरस्वामी। 331 चंद्रप्रभचरित के नायक - 5/6/7/8 (?) वे तीर्थंकर थे 332 भागवतचंद्र-चन्द्रिका - विशिष्टाद्वैत/ अद्वैत/ (?) मत की अंतिम माध्व/ वल्लभ। भागवतटीका है333 ऋगर्थदीपिका (वेदभाष्य)- वेंकटमाधव/ सायण माधव के लेखक (?) थे- द्या द्विवेद/शौनक । 334 उत्तररामचरितचम्पू के - भवभूति/वेंकटाध्वरी/ रचियता (?) थे- शरभोजी महाराज/भोजराज। संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी / 11 For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638