Book Title: Sanskrit Vangamay Kosh Part 02
Author(s): Shreedhar Bhaskar Varneakr
Publisher: Bharatiya Bhasha Parishad

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Page 607
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वृत्तान्त वर्णित है सिंधुराज का शत्रु चामुण्डराय सोलंकी। 854 "परिमल' उपाधि के - पद्मगुप्त/ विल्हण/ धनी (?) थे कल्हण/ जयचन्द्रसूरि। 855 (?) बिल्हण की रचना - विक्रमाकदेवचरित/ नहीं है कर्णसुन्दरी (नाटिका) चौरपंचाशिका (गीतिकाव्य) वेतालपंचविंशति। 856 बिल्हणकृत महाकाव्य के- काश्मीर/ चोलदेश/ चालुक्यवंशी नायक कर्नाटक/ गुर्जर । (?) के अधिपति थे857 कल्हण की राजतरंगिणी - 4/5/6/7 में काश्मीर का (?) सदियों का इतिहास वर्णित है858 राजतरंगिणी में प्रथम - 9/10/11/12 वर्णित ऐतिहासिक घटना (?) शताब्दी की है859 राजतरंगिणी का प्रमुख - वीर/ शृंगार/ शान्त/ रस (?) है करुण। 860 कल्हण की राजतरंगिणी - जोनराज/ श्रीधर/ प्राज्यभट्ट। के अग्रिम संस्करणकर्ता- मंखक । ओं में (?) नहीं है861 राजतरंगिणी का प्रथम - अकबर/जैन उल् आबिदीन फारशी अनुवाद (?) ने जहांगीर/ अल् बदाऊनी। करवाया862 हेमचन्द्रसूरिकृत - हैमनाममाला/ अनेकार्थसंग्रह कोशग्रन्थों में (?) निघण्टुकोश/ भुवनकोश । कोश नहीं है863 'कलिकालसर्वज्ञ' - 5/7/9/101 हेमचंद्रसूरि को (?) वे वर्ष की आयु में जैनदीक्षा दी गई864 हेमचंद्रकृत कुमारपालचरित- भट्टिकाव्य/ राजतरंगिणी/ प्रधानतया (?) के विक्रमांकदेवचरित/ समकक्ष माना जाता है- हम्मीरमहाकाव्य । 865 कुमारपालचरित में - सोलंकी/चौलुक्य/ गुजरात के (?) वंशीय परमार/ वाघेला । राजाओं का इतिहास वर्णित है866 नयचन्द्र सूरिकृत - 30/35/38/401 हम्मीर महाकाव्य में चौहान वंश की (?) पीढियों का ऐतिहासिक 867 हम्मीरमहाकाव्य के नायक- प्रबल शत्रुसेना/विश्वासघात का अल्लाउद्दीन खिलजी अन्न का अभाव/ सेनापति द्वारा पराभव (?) कारण का वध। हुआ868 (?) राजस्थान के - सुरजनचरित/हम्मीरमहाकाव्य इतिहास से संबंधित नवसाहसांकचरित/ महाकाव्य नहीं है- पृथ्वीराजविजय। 869 गउडवहो (गौडवध) - प्रवरसेन/ वाक्पतिराज/ नामक प्राकृत महाकाव्य हाल/गुणाढ्य । के रचयिता (?) थे870 वाक्पतिराज के - कन्नौज/ काश्मीर/ मगध/ आश्रयदाता यशोवर्मा मन्दसोर। (?) के अधिपति थे871 विख्यात कवयित्री - मम्मट/ मुकुलभट्ट/ धनिक/ विज्जका के श्लोक का जगन्नाथ/ उदाहरण (?) ने नहीं दिया872 जिनके लगभग डेढ़सौ - 80/70/50/401 पद्य उपलब्ध हए है, ऐसी प्राचीन संस्कृत कवयित्रियों की संख्या लगभग (?) है873 (?) दक्षिणभारत की - रामभद्रांबा/ तिरुमलांबा/ कवयित्री नहीं है- विजया/ शीलाभट्टारिका 874 (?) उत्तरभारत की . बिकटनितंबा/ देवकुमारिका/ कवयित्री नहीं है- मधुरवाणी/नलिनी शुक्ला । 875 रामभद्रांबा के रघुनाथा- - तंजौर/ वरंगळ/ भ्युदय महाकाव्य के विजयनगर/ मदुरै। नायक (?) के अधिपति 876 विदेशीय महापुरुषों में - लेनिन/ ईसा मसीह/ (?) संस्कृत काव्य का मॅक्समूलर/ महंमद पैगंबर विषय नहीं हुए877 कवयित्री (?) - रामभद्राम्बा/ तिरुमलांबा/ विजयनगर साम्राज्य गंगादेवी/देवकुमारिका । की महारानी थी 878 गंगादेवी कृत वीर- - 5/8/12/131 कम्परायचरित्र के (?) सर्ग उपलब्ध है879 जैन काव्यों का प्रमुख - रसोद्दीपन/ तत्त्वबोध/ अंग (?) था प्रकृतिचित्रण/ व्यक्तिदर्शन । 880 डॉ. लुडविक स्टर्नबाख ने - नीतिकाव्य/ अन्योक्तिकाव्य 30 / संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी For Private and Personal Use Only

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