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वृत्तान्त वर्णित है
सिंधुराज का शत्रु चामुण्डराय
सोलंकी। 854 "परिमल' उपाधि के - पद्मगुप्त/ विल्हण/ धनी (?) थे
कल्हण/ जयचन्द्रसूरि। 855 (?) बिल्हण की रचना - विक्रमाकदेवचरित/ नहीं है
कर्णसुन्दरी (नाटिका) चौरपंचाशिका (गीतिकाव्य)
वेतालपंचविंशति। 856 बिल्हणकृत महाकाव्य के- काश्मीर/ चोलदेश/
चालुक्यवंशी नायक कर्नाटक/ गुर्जर ।
(?) के अधिपति थे857 कल्हण की राजतरंगिणी - 4/5/6/7
में काश्मीर का (?) सदियों का इतिहास
वर्णित है858 राजतरंगिणी में प्रथम - 9/10/11/12
वर्णित ऐतिहासिक घटना
(?) शताब्दी की है859 राजतरंगिणी का प्रमुख - वीर/ शृंगार/ शान्त/ रस (?) है
करुण। 860 कल्हण की राजतरंगिणी - जोनराज/ श्रीधर/ प्राज्यभट्ट।
के अग्रिम संस्करणकर्ता- मंखक ।
ओं में (?) नहीं है861 राजतरंगिणी का प्रथम - अकबर/जैन उल् आबिदीन
फारशी अनुवाद (?) ने जहांगीर/ अल् बदाऊनी।
करवाया862 हेमचन्द्रसूरिकृत - हैमनाममाला/ अनेकार्थसंग्रह
कोशग्रन्थों में (?) निघण्टुकोश/ भुवनकोश ।
कोश नहीं है863 'कलिकालसर्वज्ञ' - 5/7/9/101
हेमचंद्रसूरि को (?) वे वर्ष की आयु में जैनदीक्षा
दी गई864 हेमचंद्रकृत कुमारपालचरित- भट्टिकाव्य/ राजतरंगिणी/
प्रधानतया (?) के विक्रमांकदेवचरित/
समकक्ष माना जाता है- हम्मीरमहाकाव्य । 865 कुमारपालचरित में - सोलंकी/चौलुक्य/
गुजरात के (?) वंशीय परमार/ वाघेला । राजाओं का इतिहास
वर्णित है866 नयचन्द्र सूरिकृत - 30/35/38/401
हम्मीर महाकाव्य में चौहान वंश की (?) पीढियों का ऐतिहासिक
867 हम्मीरमहाकाव्य के नायक- प्रबल शत्रुसेना/विश्वासघात
का अल्लाउद्दीन खिलजी अन्न का अभाव/ सेनापति द्वारा पराभव (?) कारण का वध।
हुआ868 (?) राजस्थान के - सुरजनचरित/हम्मीरमहाकाव्य
इतिहास से संबंधित नवसाहसांकचरित/
महाकाव्य नहीं है- पृथ्वीराजविजय। 869 गउडवहो (गौडवध) - प्रवरसेन/ वाक्पतिराज/
नामक प्राकृत महाकाव्य हाल/गुणाढ्य ।
के रचयिता (?) थे870 वाक्पतिराज के - कन्नौज/ काश्मीर/ मगध/
आश्रयदाता यशोवर्मा मन्दसोर।
(?) के अधिपति थे871 विख्यात कवयित्री - मम्मट/ मुकुलभट्ट/ धनिक/
विज्जका के श्लोक का जगन्नाथ/ उदाहरण (?) ने नहीं
दिया872 जिनके लगभग डेढ़सौ - 80/70/50/401
पद्य उपलब्ध हए है, ऐसी प्राचीन संस्कृत कवयित्रियों की संख्या
लगभग (?) है873 (?) दक्षिणभारत की - रामभद्रांबा/ तिरुमलांबा/
कवयित्री नहीं है- विजया/ शीलाभट्टारिका 874 (?) उत्तरभारत की . बिकटनितंबा/ देवकुमारिका/
कवयित्री नहीं है- मधुरवाणी/नलिनी शुक्ला । 875 रामभद्रांबा के रघुनाथा- - तंजौर/ वरंगळ/
भ्युदय महाकाव्य के विजयनगर/ मदुरै। नायक (?) के अधिपति
876 विदेशीय महापुरुषों में - लेनिन/ ईसा मसीह/
(?) संस्कृत काव्य का मॅक्समूलर/ महंमद पैगंबर
विषय नहीं हुए877 कवयित्री (?) - रामभद्राम्बा/ तिरुमलांबा/
विजयनगर साम्राज्य गंगादेवी/देवकुमारिका ।
की महारानी थी 878 गंगादेवी कृत वीर- - 5/8/12/131
कम्परायचरित्र के (?)
सर्ग उपलब्ध है879 जैन काव्यों का प्रमुख - रसोद्दीपन/ तत्त्वबोध/ अंग (?) था
प्रकृतिचित्रण/ व्यक्तिदर्शन । 880 डॉ. लुडविक स्टर्नबाख ने - नीतिकाव्य/ अन्योक्तिकाव्य
30 / संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी
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