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(?) वे तीर्थंकर थे। . 844 वाग्भट (प्रथम) विरचित- पितृव्य/ पितृश्वसा/
नेमिनिर्वाण काव्य के मातुल/ मातृश्वसा। नायक नेमिकुमार, भगवान् कृष्ण के (?)
के पुत्र थे845 अमरचन्द्रकृत पद्यानंद - प्रथम/ द्वितीय/ तृतीय/
महाकाव्य के नायक चतुर्थ । ऋषभदेव (?) तीर्थंकर
थे846 जिनप्रभसूरि के श्रेणिक - शाकटायन/ जिनेन्द्र/
चरित में (?) व्याकरण कातंत्र/ माहेश्वर । के प्रयोग प्रदर्शित है
वस्तुपाल की उपाधि वाग्देवतावतार/ सरस्वती(?) नहीं है
कण्ठाभरण/ वसन्तपाल 830 वेदान्तदेशिक उपाधि - श्रीभाष्यकार रामानुजाचार्य/ के धनी (?) थे- यादवाभ्युदयकार
वेंकटनाथ/ पंचदशीकार
विद्यारण्य/ नैषधकार श्रीहर्ष 831 जैन विद्वानों में अग्रगण्य - समन्तभद्र/ वीरनन्दी/
संस्कृत कवि (?) माने जटासिंहनन्दी/ जिनसेन
जाते है832 चरित्रात्मक काव्य लेखन - 2/5/7/9
की परंपरा जैन संस्कृत साहित्य क्षेत्र में (?)
शताब्दी से प्रारंभ हुई833 जैन महाकाव्यों के आधार - आदिपुराण/ उत्तरपुराण/
ग्रंथों में (?) नहीं है- हरिवंश/ भागवत । 834 जैनों के त्रिषष्टिशलाका - बलभद्र/ वासुदेव/
पुरुषों में बारह (?) है- प्रतिवासुदेव/चक्रवर्ती/ 835 31 सर्गी वरांगचरित के - मगध/ कर्णाटक/
लेखक जटासिंहनन्दी सौराष्ट्र/ विदर्भ ।
(?) प्रदेश के निवासी थे 836 जैनधर्म के शलाकापुरुषों - 12/24/26/63 ।
की कुल संख्या (?) है837 शान्तिनाथचरित एवं - वादिराज/ असंग/ वीरनंदी/
वर्धमानचरित की रचना जटिल।
(?) की है838 अठराह सर्गों के वर्धमान - 4/8/12/16।
चरित में (?) सर्गों में उनके पूर्वजन्मों
की कथाएँ है839 जैन संप्रदाय के 23 वे - नेमिनाथ/ शान्तिनाथ/
तीर्थकर (?) थे- पार्श्वनाथ/ मल्लिनाथ । 840 पार्श्वनाथ का चरित्र - षट्तर्कषण्मुख/ स्याद्वाद
संस्कृत में प्रथम ग्रथित विद्यापति/जगदेक मल्लवादी करनेवाले वादिराज की वादीभसिंह ।
(?) उपाधि नहीं841 त्रिषष्टिशलाकापुरुष - देवचन्द्र/हेमचन्द्र)
चरित की रचना (?) ने माणिक्यचन्द्र/महासेनकवि।
की है842 16 वे तीर्थंकर शान्तिनाथ - हेमचन्द्र/ असंग/
का प्रथम संस्कृतचरित्र - मुनि देवसूरि/मुनि भद्रसूरि ।
(?) ने लिखा843 जीवन्धरचम्पूकार - 12/13/14/15।
हरिश्चन्द्रके धर्मशर्माभ्युदय काव्य के नायक धर्मनाथ
847 'दुर्गवृत्तिव्याश्रय'- - जम्बूस्वामिचरित/
नामसे (?) जैन काव्य अभयकुमारचरित/ प्रसिद्ध है
श्रेणिकचरित/ जगडूचरित 848 हेमविजयगणि कृत विजय- अकबर/ जहांगिर/
प्रशस्तिकाव्य के नायक शहाजहां/ औरंगजेब । हीरविजयसूरिने (?) बादशाह को जैनधर्म
का उपदेश किया था849 सर्वानन्द कवि ने - त्रिवर्षीय दुर्भिक्ष्य/
जगडूचरित काव्यद्वारा सर्वसाधकमणि का लाभ/ (?) ऐतिहासिक तथ्य विदेशों से व्यापार/
का वर्णन किया- विशाल दुर्ग का निर्माण। 850 वादीभसिंह उपाधिसे - क्षत्रचूडामणिकार (?) प्रसिद्ध थे- ओडयदेव/सुदर्शनचरित्रकार
सकलकीर्ति/ जैन-कुमारसंभवकार जयशेखरसूरि शत्रुजयमाहात्म्यकार धनेश्वर
सूरि/ 851 अमितगतिकृत सुभाषित - 21/32/43/54 ।
रत्नसन्दोह में (?) नैतिक विषयोंपर
श्लोकरचना है852 संस्कृत का प्रथम पद्मगुप्तकृत नवसाहसांक ऐतिहासिक महाकाव्य चरित/ बिल्हणकृत
विक्रमांकदेवचरित/ कल्हणकृत राजतरंगिणी/
जयानककृत पृथ्वीराजविजय 853 नवसाहसांकचरित के - राजा मुंज/ नायक (?) थे- मुंज के अनुज सिंधुराज/
मुंज के शत्रु द्वितीय तैलप/
संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी / 29
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