Book Title: Sanskrit Vangamay Kosh Part 02
Author(s): Shreedhar Bhaskar Varneakr
Publisher: Bharatiya Bhasha Parishad

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Page 605
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अधिपति थे 801 चिप्पटजयापीड (?) उपाधि से सम्मानित थे 802 (?) रत्नाकर कवि की रचना नहीं है 803 दीपशिखा, छत्र, घण्टा इन उपमा के कारण (?) कवि को उपाधि प्राप्त नहीं हुई 804 "कांस्यताल" की उपमा के कारण (?) कवि को उपाधि प्राप्त हुई805 रत्नाकर के हरविजय की - चार सहस्र से (?) अधिक है - - 808 प्रत्यभिज्ञादर्शन (?) प्रदेश की देन है809 पचास सर्गो के हरविजय में (?) सर्ग साहित्य शास्त्रोक्त विषयों के वर्णनों में भरे है 810 फणाभ्युदय कार शिवस्वामी (?) मत के अनुयायी थे 811 कफिणाभ्युदयकाव्य को (?) कहते है 812 शारदादेश (?) प्रदेश का अन्यनाम है813 क्षेमेन्द्र की सर्गसंख्या (?) है 806 हरविजय महाकाव्य का विषय शिवजी द्वारा ( ? ) असुर का वध है 807 हरविजय की श्लोकसंख्य- 121/ 221/ 321/421 - वाग्देवतावतार/ बालबृहस्पति सरस्वती कण्ठाभरण/ वाग्गेयकार बोधिसत्वावदान कल्पलता बौद्धों के (?) पंथ में आदत है 814 भगवान बुध्द की पूर्वजन्ममें प्राप्त पारमिताओं की कथाएँ (?) ग्रंथ में वर्णित है 28 / संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी हरविजय / वक्रोक्तिपंचाशिका ध्वनिगाथापंजिका/ अर्धनारीश्वरस्तोत्र । कालिदास / भारवि / माघ / रत्नाकर मुक्ताकण/ शिवस्वामी/ आनंदवर्धन / रत्नाकर । 20/36/44/ 50/ अंधक / तारक / त्रिपुर/ सिन्धुर केरल / कामरूप / काश्मीर / नेपाल 5/10/15/201 www.kobatirth.org शैव / माध्यमिक/ शाक्त/ योगाचार | यंक/ शिवांक / वीरांक/ लक्ष्मीपदांक । सौराष्ट्र / कलिंग / काश्मीर / वंग महायान / हीनयान / योगाचार / सहजिय । बुध्दचरित/ जातकमाला / बोधिसत्त्वावदानकल्पलता वरुनयशतक 815 क्षेमेन्द्रविरचित काव्यों में (?) नहीं है 816 संस्कृत साहित्य में हास्य के सर्वश्रेष्ठ लेखक (?) माने जाते है 817 मंखक के श्रीकण्ठचरित का विषय शंकर द्वारा (?) का संहार 818 मंखक के गुरू (?) थे 819 मंखक के आश्रयदाता काश्मीर नरेश (?) थे 820 25 सर्गों के श्रीकण्ठ चरित में (2) सर्ग वर्णनपरक है 821 श्रीहर्ष के खण्डनखण्ड खाद्य के खण्डन का विषय (?) नहीं है 822 श्रीहर्ष के आश्रयदाता जयचंद्र (?) के अधिपति थे 823 नैषधीयचरित के बाईस सर्गों की श्लोकसंख्या अठ्ठाइस सौ से (?) अधिक है 824 खण्डनखण्डकार श्रीहर्ष (?) वादी दार्शनिक थे825 नैषधीय चरित में - 827 नरनारायणानन्द काव्य का विषय (?) है 828 नरनारायणानन्दकार वस्तुपाल (?) संप्रदायी थे 829 नरनारायणानन्दकार - - For Private and Personal Use Only दमयन्ती स्वयंवर का वर्णन (?) सर्गो में किया है - - - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - रामायणमंजरी/ भारतमंजरी/ भागवतव्यंजन/ यूहकधामंजरी। भास / शूद्रक / क्षेमेन्द्र/ दामोदरगुप्त / त्रिपुरासुर / दक्ष यज्ञ तारकासुर / अंधकासुर रुय्यक / रुद्रट/ अल्लट मम्मट जयसिंह / जयादित्य / ललितादित्य / अवान्तिवर्मा 9/10/11/12 826 नरनारायणानन्द महाकाव्य- जामात/ मन्त्री/ सेनापति/ श्वशुर । के रचयिता वस्तुपाल चौलुक्यवंशी राजा वीरधवल के (?) थे न्यायकुसुमांजलि/ तात्पर्यपरिशुद्धि / बौध्दधिकार तन्त्रालोक कान्यकुब्ध/ स्थाण्वीश्वर / पाटलीपुत्र / जयपुर 20/25/30/40 1 द्वैत/ अद्वैत/ द्वैताद्वैत/ भेदाभेद । 2/3/4/5 अर्जुन सुभद्राविवाह/ कृष्ण-अर्जुन मैत्री भारतकथा / भागवत कथा वैष्णव व जैन बौद्ध बागदेवतासुत/

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