Book Title: Sanskrit Vangamay Kosh Part 02
Author(s): Shreedhar Bhaskar Varneakr
Publisher: Bharatiya Bhasha Parishad

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Page 594
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 487 भासकृत अविमारक (?) कथापर आधारित - रामायण । भारत । कृष्णचरित्र कल्पित । 488 जैमिनि-अश्वमेध ग्रंथ का - यज्ञशास्त्र/ भारतकथा/ विषय (?) है- मीमांसाशास्त्र/ देशवर्णन। 489 अष्ट-महाश्रीचैत्यस्तोत्र - हर्षवर्धन । अशोक। के रचयिता (?) थे। कनिष्क । नागार्जुन । 490 अष्टमहाचैत्यस्तोत्र तिब्बती- सिल्वाँ लेवी । पार्जिटर । प्रतिलेख के आधारपर ह्रिस डेविडस् ।पी.व्ही.बापट । (?) द्वारा-संस्कृत में अनूदित हुआ। 491 वाग्भट के अष्टांगहृदय - 6/8/34/1201 ग्रंथ की अध्याय संख्या 492 वर्णसमाम्नाय के प्रत्याहार - 10/12/14/16। सूत्रों की संख्या (?) है493 पाणिनिकृत अष्टाध्यायी - 1/2/3/4। की सूत्रसंख्या 3980 से (?) अधिक है। 494 अष्टाध्यायी के प्रत्येक - 2/3/4/6। अध्याय में (?) पाद है। 495 अष्टाध्यायी के अन्य नामों- शब्दानुशासन । वृत्तिसूत्र । में (?) नाम उल्लिखित अष्टक । सर्ववेदपरिषदनहीं है शास्त्र। 496 अष्टाध्यायी का (?) पाठ- प्राच्य । पाश्चात्य । दक्षिणात्य । औदीच्य। 497 उत्कलके राजा कामदेव - गीतगोविंद । गीतराघव । (?) काव्य का श्रवण गीतगंगाधर । सप्तशतीस्तोत्र । किए बिना अन्नग्रहण नहीं करते थे ग्रंथों के (?) प्रवर्तक थे सिद्धान्त कौमुदीकार भट्टोजी दीक्षित । वाक्यपदीयकारभर्तृहरि । प्रक्रियाकौमुदीकार रामचंद्र। 502 संधानकाव्य के प्रवर्तक - नैघंटुक धनंजय (?) थे (राघवपाण्डवीयकार)/ दैवज्ञ सूर्यकवि (रामकृष्ण विलोमकाव्यकार) हरदत्तसूरि (राघवनैषधीयकार)। चिदम्बर कवि (पंचकल्याण चम्पूकार)। 503 पाकशास्त्र विषयक - पुणे/ तंजौर/ मैसूर/ नागपुर भोजनकुतूहल नामक एकमात्र संस्कृत ग्रंथ के लेखक नवहस्त रघुनाथ गणेश (?) के निवासी थे504 कन्नडभाषा का संस्कृत - 11/12/13/14। व्याकरण (कर्नाटकभाषाभूषण)के लेखक नागवर्म द्वितीय (?) शती में हुए:505 नागार्जुन के बहुसंख्य - चीनी । तिब्बती। सिंहली। ग्रंथ (?) अनुवाद रूपमें कवि । मिलते है506 सभी शास्त्रोंपर लेखन - 25/30/35/401 करने वाले नागोजी भट्ट के ग्रंथों की कुल संख्या 498 "तर्कपुंगव" उपाधिके - दिङ्नागाचार्य । समरपुंगव धनी (?) थे- दीक्षित । भावसेन विद्य। वाचस्पति मिश्र। 499 अकबर को जैन धर्म का - देवविमलगणि। उपदेश (?) ने किया। देवविजयगणि । जयशेखर सूरि । हरिभद्र सूरि। 500 (?) ने स्वोपज्ञ टीका - रसमंजरीकार भानुदत्त । नहीं लिखी प्रमाणनयतत्त्वालोकालंकारलेखक देवसूरि। गोपालचंपूकार जीवराज। कौस्तुभ चिन्तामणिकार गजपति प्रतापरुद्रदेव।। 501 प्रक्रियानुसारी व्याकरण - रूपावतारकार-धर्मकीर्ति । 507 मधुराद्वैत संप्रदाय के - 30/50/75/1301 प्रवर्तक प्रज्ञाचक्षु गुलाब राव महाराज के संस्कृत ग्रंथों की संख्या (?) है 508 बालसरस्वती - 10/21/91/122 | नारायणशास्त्री के नाटकों की कुल संख्या (?) है509 निंबार्काचार्य-विष्णु- - शाङ्ग/ सुदर्शन/ भगवान् के (?) शस्त्र के कौमोदकी । नंदक। अवतार माने जाते है510 राज्याभिषेककल्पतरू के - गागाभट्ट काशीकर । लेखक (?) थे- निश्चलपुरी । नागोजी भट्ट कृष्णशास्त्री घुले। 511 कवि की समकालीन - काश्मीरसंधानसमुद्यम। घटना पर आधारित हैदराबादविजय । बांगलादेश संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी / 17 For Private and Personal Use Only

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