Book Title: Sanmati Tarka Gatha 1 41 na Tatparya Vishe Vicharna
Author(s): Trailokyamandanvijay
Publisher: ZZ_Anusandhan
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अनुसन्धान-५५
उत्पन्न छे. शब्द तो अना माटे उत्पाद्य होवाथी गौण छे. ओथी उलटं, श्रोताने शब्दश्रवणथी जे प्रत्यय जन्मे छे ते शब्दनयनो विषय छे के जे पोताना उत्पादक शब्दने ज प्रधान गणे छे, पोतानाथी उत्पाद्य ओवा अर्थने नहीं. मतलब के श्रोताने शब्द सांभळीने जे बोध उत्पन्न थशे, ते केवो हशे ? केटली मात्रानो हशे ? ओ विशे विचारणाना प्रकारो ते शब्दनय छे. अने तेथी शब्दनयाश्रित विचारणा वखते शब्दथी थता बोधना कारणभूत शब्दनिष्ठ वाचकताने ज ध्यानमां लेवी जोइओ, नहीं के अर्थनिष्ठ वाच्यताने ते सुस्पष्ट छे.
हवे आपणे शब्दनिष्ठ वाचकताने अनुलक्षीने विचारीशुं तो तेमां (-शब्दथी जन्य बोधमां) बे ज विकल्पोनो सम्भव छे, तेथी वधारे नहीं. केमके शब्दश्रवण पछी शब्दथी सूचवाता सामान्यने पकडी ओ सामान्यधर्म धरावता पदार्थनो बोध करीओ अथवा शब्दथी दर्शावाता विशेषने पकडी ओ विशेषथी विशिष्टनो ज बोध करीओ ओम बे ज मार्ग छे. आ सिवाय त्रीजो कोई विकल्प कल्पी पण शकातो नथी.२ अने जो त्रीजो विकल्प न होय तो तेनो प्रतिपादक भंग पण न होय तेथी बे ज भांगा बने छे. आमां जे सामान्य बोध छे, ते साम्प्रत अने समभिरूढना मते सम्भवे छे, कारण के तेओ, घटत्व के जलधारणयोग्यता जेवा सामान्य धर्मोथी विशिष्ट व्यक्ति, शब्दथी सूचवाय छे, तेम माने छे.३ ज्यारे जे विशेषबोध छे, ते अवम्भूतनयने आधारित छे, कारण के ते, जलधारणक्रिया जेवा विशेषोथी विशिष्ट व्यक्तिने ज, शब्दवाच्य गणावे छे. हवे "सविकल्प१. आपणने बोध थाय ते बोध बीजाने कराववा माटे शब्द प्रयोजीओ छीओ. तेथी शब्द ओ
बोधथी उत्पाद्य- जन्माववा योग्य गणाय छे. २. अहीं सामान्य अने विशेष उभयथी विशिष्टनो बोध -अवो त्रीजो विकल्प केम न गणाव्यो?
ओवो प्रश्न थइ शके, पण अनुं समाधान ओ छे के ओवो बोध सम्भवित तमाम अपेक्षाना संग्रहात्मक होवाथी प्रमाणवाक्य ज बनी जाय छे. अने नयाधारित वाक्यो ज भांगा तरीके
गणाय छे, नहीं के ओ भांगाओना सर्वसमूहात्मक प्रमाणवाक्य. ३-४. "शब्द-समभिरूढौ सञ्जा-क्रियाभेदेऽप्यभिन्नमर्थं प्रतिपादयत इति तदभिप्रायेण सविकल्पो
वचनमार्गः प्रथमभङ्गकरूपः । एवम्भूतस्तु क्रियाभेदाद् भिन्नमेवाऽर्थं तत्क्षणे प्रतिपादयतीति निर्विकल्पो द्वितीयभङ्गकरूपस्तद्वचनमार्गः ।" - टीकाकारना आ शब्दोनुं आq ज तात्पर्य
जणाय छे. ५. सामान्य अने विशेषने अनुक्रमे सविकल्प अने निर्विकल्प तरीके ओळखाववाना हेतुओ
माटे जुओ पृष्ठ ८६

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