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जैनदर्शन में द्रव्य गुण पर्याय की अवधारणा
ग्रंथ समीक्षा : बालाजी गणोरकर
प्रो. सागरमलजी जैन ने लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर में वर्ष 2009 में आगमप्रभाकर मुनि पुण्यविजयजी स्मृति व्याख्यानमाला में तीन दिन जैन दर्शन में द्रव्य गुण पर्याय की अवधाणा पर गवेषणात्मक व्याख्यान दिया था । जैनदर्शन का यह आगमिक काल से ही बहुचर्चित विषय है । भारतीय दर्शनों में भी द्रव्य एवं गुण शब्द प्रचलित हैं तथापि प्रत्येक दर्शन में द्रव्य के स्वरूप के विषय में मतान्तर है । द्रव्य की नित्यता एवं अनित्यता, द्रव्य एवं गुण का परस्पर संबन्ध आदि विषयों पर जैन दार्शनिकों ने पर्याप्त चिन्तन किया है। प्रो. सागरमलजी जैन ने प्रस्तुत व्याख्यान में सभी दर्शनों की जैन दर्शन के साथ समालोचना करते हुए द्रव्य गुण एवं पर्याय की विचारणा प्रस्तुत की थी । इन्हीं व्याख्यानों को पुस्तकार में संग्रहित कर हिन्दी भाषा में लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति ग्रंथमाला के १५ वें पुष्प के रूप में प्रकाशित किया गया है ।
लेखक : प्रो. सागरमल जैन प्रधान संपादक : डो. जितेन्द्र बी. शाह भाषा : हिन्दी, पृष्ठ : 8 + 16 मूल्य : 150/- प्रकाशन वर्ष : 2011 प्रकाशक : लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, नवरंगपुरा, अहमदाबाद. ISBN 81-85857-33-4