Book Title: Sambodhi 2001 Vol 24
Author(s): Jitendra B Shah, K M Patel
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 123
________________ 118 जितेन्द्र शाह गण्डस्स कहाणयं ॥ ॐ नमः सिद्धं ॥ नमिऊण जिणवरिंद, सिवादेवीनंदणं महासत्तं । सासय- सुक्खनिहाणं, सिद्धिपुरीए तहा पत्तं ॥ १ ॥ तयणंतरेण सिद्धे, आयरियसुयहरे उवज्झाए । साहुबहुगुण-पुन्ने, मणि-कंचण- लिट्टू-तणु-सरिसे ॥२॥ वडवद्दं भरुयच्छं, दाहिण - महुरा तहेव कोसंबी । नासिक्कं उज्जेणी गंडस्स कहाणया पंच ॥३॥ Jain Education International जह कहियाणिहलोए, पुव्वरुसीहिं महाणुभावेहिं । गंडस्सउ अक्खाणे, वच्छामि अहाणुपुव्वी ॥४॥ तेणं कालेणं, तेणं समएणं, कोसंबी नाम नयरी, अह सा य केरिसा - उज्जाण-वण-काण सरवरेहिं नाणाविह-पत्त-फुल्लभरिएहिं,' हंस-चकोर - मउर - कारंडय - चक्कवालेहिं बहुनेवत्थं नियत्थेहि, जुवईजुवाणेहिं चंकमंतेहिं सोहिया । ताहे नगरस्स बाहिं, गो-महिस समाउलं - रम्मा, अन्नं च नयरीए-नत्थि घरे दालिद्दं । नत्थि घरं जत्थ ऊसवो नत्थि, नत्थि घरं वावी - विरहियं, नत्थि वावी सलिल - विरहिया, नत्थि सलिलं कमल-विरहियं, नत्थि कमलं भमर - विरहियं, नत्थि भमरो सहयारे विरहिया, नवरि य इक्कु च्चिय दोसो, जं धवलहरं पंडरीएहिं भवणेहिं न दीसए चंदो । पागारगोपुरऽट्टालएहिं, पडागं धय - तोरणनिविट्ठेहिं देउलेहिं सिहरविलग्गेहि अई - सोहिया रम्मा, गय-गुलुगुल्लितेहिं रहज्झणझणेहिं, तुरया हिंसियरवेणं, नयरीए निग्घोसो, नवरं फुट्ट अंबरं सयलं । तत्थ वि य सासयाणि । अवरं च-सयलाणि संठितिसयाई, नवचच्चराई, बावत्तरि चउक्काई, रत्थासयसमीहिया कोसंबी पुरवरी । तर्हि च नयरीए अरिमद्दणो नाम राया । अणेयगुणगणालंकिओ महासत्तो | केरिसा तस्स गुणा SAMBODHI अधाणं देइ धणं, सधणाणं पालणं सया कुणइ । चिरपविसिय भत्तूण य, अबंधवाणं सुबंधवो राया ॥१॥ भत्ती कुणइ जईणं, वच्छल्लं कुणइ सव्वलोयाणं । चिंतामणि भद्दाणं, थरथरउ अन्नरायाणं ॥२॥ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162