Book Title: Samayik Ek Adhyatmik Prayog
Author(s): Subhash Lunkad
Publisher: Kalpana Lunkad

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ हम सिध्दांत और प्रयोग दोनोंका समन्वय सामायिक मे करते है। सामायिक एक आध्यात्मिक प्रयोग है जो भीतर ले जाता है और ज्ञात कराता है कि भीतर में कितना सुख है। इस प्रयोग की पूर्णता के लिए नित्य अभ्यास आवश्यक है। वह एक बार ही पूर्णतया नही अपनाया जा सकता। इसलिए सामायिक को शिक्षाव्रत कहते हैं । जब हम सामायिक का पुन: पुन: अभ्यास करते हैं, तब कालांतरेण धीरे धीरे दैनंदिन जीवन के सब व्यवहारों में सामायिक का प्रयोग करना सीखते हैं। तब हम सच्चे सामायिक का परिणाम धीरे धीरे हमारे जीवन पर होता हुआ देख सकते हैं, अनुभव कर सकते हैं । इस धर्माचरण का प्रतिबिंब हमारे नित्य प्रति के व्यवहार में उतरने लगता है। तभी सामायिक का प्रयोग सफल होने लगता है। ४) सामायिक व्याख्या तथा उद्देश तो यह सामायिक का व्रत कैसा करे? इसकी विधि क्या है ? यह देखने के पहले हमे यह मालूमात करना जरूरी है कि, सामायिक किसे कहते है? सामायिक की व्याख्या क्या है? सामायिक का उद्देश क्या है? सामायिक एक पवित्र धार्मिक अनुष्ठान है । जिसमें लीन होकर साधक ४८ मिनट तक सभी सांसारिक प्रवृत्तियों से निवृत होकर,मन,वचन, कायाके सभी पाप कार्यो का सावध योग त्याग करके, शुभ भावनाओं के साथ अपने मनमंदीर मे प्रवेश करके सम याने समत्व प्राप्ति का अभ्यास करता है। वस्तुत: “समे अयनं एव सामायिकम" समत्व की प्राप्ती ही सामायिक है। निचे दिए गए दो श्लोकोंसे सामायिक की व्याख्या तथा उद्देश और भी स्पष्ट होता है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60