Book Title: Samayik Ek Adhyatmik Prayog
Author(s): Subhash Lunkad
Publisher: Kalpana Lunkad

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Page 56
________________ 5) प.पु.साध्वी श्रीअर्चनाजी म.सा श्री सुभाषजी सा- आपने सामायिक साधना के विषय पर मूल पाठ के साथमें रख जो सुंदर हिंदी में रूपांतरण करनेंका सहज प्रयास किया वह अति स्तुत्य हैं। साथमें व्यवहार सामायिक एवं निश्चय सामायिक को समझ उसके गहरे भाव जो दिये है वह भी अति सुंदर है। ___ आम जनता सामायिक को अभी तक ठीक से समझ न पायी। मात्र करते रहे। समझ न पाये कि, सामायिक का अर्थ क्या है, राज क्या है। उसे समझाने हेतु अपने डॉक्टरी व्यवसायसे भी समय निकालकर कडी लगन और मेहनत के साथ इस पुस्तिका का निर्माण किया अत: अति साधुवाद के पात्र है। इसीके साथ भविष्यमें आपसे इसी स्तुत्य उपक्रम की काफी अपेक्षाएँ रखते है। इन्ही मंगलमैत्री के साथ श्रमणी अर्चना 'मीरा',दापोडी 6) प.पु.साध्वी अनोखाकँवरजी म.सा (आ. नानालालजी म.सा.) सामायिक विषयक आपका पुरुषार्थ उत्तम एवं श्रेयस्कर है। कर्म निर्जरा का सुलभ उपाय है। मेरी दृष्टि से आपको आत्मीय भाव पर एक सुझाव है ,आपने जो प्रचलित सामायिक के दोषों का उल्लेख किया है, इसको गौण रखकर गुणात्मक सामायिक का प्रतिपादन करेंगे तो विशेष हितकारी, उपकारी, श्रेयस्कारी होगा | आपकी आत्मीय शोध के प्रति आकर्षण को बहुत बहुत धन्यवाद !

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