Book Title: Samayik Ek Adhyatmik Prayog
Author(s): Subhash Lunkad
Publisher: Kalpana Lunkad

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Page 44
________________ बुध्द धर्ममे समता भाव हालाँकि बुध्द धर्म मे आत्मा परमात्मा की मान्यता नही है । फिर भी बुध्द को सभी प्राणिमात्रोंमे समानता देखनेवाला उपदेशक कहा जाता है | भगवान बुध्द ने समता का ही प्रसार किया मानव मानव मे ही नही बल्कि मनुष्य और पशु इनकी विषमता का भी उन्होंने निषेध किया, और सब जीव समान है ऐसा उपदेश किया। इसतरह बुध्द समता के महान उपदेशक थे । ( भगवान बुध्द आणि त्यांची शिकवण - स्वामी विवेकानंद ) ख्रिश्चन धर्म मे समता भाव क) ईश्वरनिर्मित सृष्टि मे स्थित समताभाव आचरण मे लाने से सृष्टि शांतता से तथा आनंदसे भर जाएगी । यही येशु ख्रिस्त का आचरण विषयक सूत्र था । ड) वैदिक धर्म मे कायोत्सर्ग भाव जिस क्षण इंद्रिय याने के सर्वस्व नही, ऐसी साधक की धारणा पक्की होती है | जिस क्षण यह जड देह शाश्वत आत्मानंद के आगे कुछ भी नही, इसका उसे पता चलता है । उस क्षण से वह आत्मानंद का अनुभव पाने तक बेचैन हो उठता है । यह बेचैनी, यह तीव्र तृष्णा, यह उन्माद, इसेही धार्मिक जागृति कहते है और उसी वक्त आदमीके अध्यात्मिक जीवन को आरंभ होता है । ( आत्मसाक्षात्कार - साधना व सिध्दी - स्वामी विवेकानंद ) ૨

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