Book Title: Samayik Ek Adhyatmik Prayog
Author(s): Subhash Lunkad
Publisher: Kalpana Lunkad

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Page 47
________________ इरियावहि का पाठे इच्छा कारेण संदिसह भगवं / इरियावहियं पडिक्कमामि, इच्छं इच्छामि पडिक्मिउंइरियावहियाए विराहणाए गमणगमणे पापक्कमपेबीयक्कममेहरीयक्कमपे,ओसा-उत्तिंग-पपग-दग-मट्टी-मक्कडा संताणा संकमणे / जे मे जीवा विराहिया, एगंदिया बेइन्दिया, तेइन्दिया, चउरिदिया, पंचिदिया, अभिहया वत्तिया लेसिया संघाइया, संघट्टिया, परियाविया किलामिया उद्दविया ठाणाओ ठाणं संकामिया जीवियाओ ववरोविया तस्स मिच्छामि दुक्क्डं ||5|| तस्स उत्तरी का पाठ तस्स उत्तरी करणेणं पायच्छित्तकरणेणं विसोहिकरणेणं, विसल्लीकरणेणं पावाणं कम्माणं,निग्घायणट्ठाए ठामि काउसगं, अन्नत्थ उसासिएणं, निससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उड्डूएणं, वायणिसग्गेणं, भमलिए, पित्तमुच्छाए ,सुहुमेहि अंगसंचालेहि, सुहुमेहि खेलसंचालेहि, सुहुमेहि दिट्ठिसंचालेहि, एवमाइए हिं आगारेहि अभग्गो, अविराहिओहुज्ज मे काउसगो, जाव अरिहंताणं, भगवंताणं, णमोक्कारेणं, न पारेमि, ताव कायं ठाणेणं मोणेणं झाणेणं अप्पाणं वोसरामि // चउवीसत्थव का पाठ लोगस्स उज्जोयगरे, धम्मतित्थयरे जिणे | अरिहंते कित्तेइस्सं, चउवीसंपि,केवली // 1 // उसभमजियं च वंदे, संभवमभिणंदणं च सुमइंच / पउमप्पहं सुपासं, जिणं च चंदप्पहं वन्दे // 2 // 35

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