Book Title: Samayik Ek Adhyatmik Prayog
Author(s): Subhash Lunkad
Publisher: Kalpana Lunkad

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Page 15
________________ आत्मा से परमात्मा तक प्रवास करने के लिए एक अत्यंत जलद राजमार्ग (Express Highway) है । केवली भगवानने सभी धर्मशास्त्रों का, सूत्रों का अर्क निकालकर साधना के लिए एक अमृतकलश हमे सामायिक द्वारा प्रस्तुत किया है। ऐसे सच्चे सामायिक का महत्व वर्णन करते हुए कहा गया है, दिवसे दिवसे लख्खं देइ सुवण्णस्स खंडियं एगो । एगो इयरो पुण सामाइयं करेड़ ण पहुप्पए तस्स ॥११३॥ (संबोध प्रकरण) अर्थात - एक व्यक्ति रोजाना लक्ष लक्ष सुवर्ण मुद्राओंका दान करता है, और दूसरा व्यक्ति मात्र दो घडी की सामायिक करता है तो दोनों में सामायिक करनेवाला श्रेष्ट व्यक्ति है । लक्ष मुद्राओंका दान एक सामायिक की भी समानता नही कर सकता । तो क्यों न हम इस अमृतकलश को हमारे जीवन में लाने के लिए, हमारे अति दुर्लभ मनुष्य जीवन के उध्दार के लिए उपयोग में लाए । ३) सामायिक एक आध्यात्मिक प्रयोग सिध्दान्त हमें कही नही पहुँचाता। सुनी हुई बात दूरतक नही ले जाती। उसको जीना होता है । सिध्दान्तों को जीवन में उतारने के लिए साधना होती है। साधना के लिए हमे प्रयोगोंसे गुजरना पडता है। केवल सुनना भार बढ़ाना है । जैसे चीनी दूध मे घूल जाने से भार नही बढाती, उसी प्रकार जो सत्य सिध्दांत आकलन हुआ है, उसे आचरण में घोल देने से भार नही बढेगा और आचरण भी स्वादभरा हो जाएगा। साधना के लिए सिध्दांत और प्रयोग दोनों की आवश्यकता है। ३

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